BY: Yoganand Shrivastva
भोपाल, मध्य प्रदेश में OBC को 27% आरक्षण देने का मुद्दा एक बार फिर सियासी पारा चढ़ा रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, जिसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है।
रविवार को एक बयान में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने बिना किसी सर्वे और तैयारी के केवल चार लाइनों में आरक्षण की घोषणा कर दी थी। यही वजह है कि मामला आज भी न्यायालय में लंबित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार सही डेटा के साथ एक मजबूत कानून बना रही है, जिसे विधानसभा में पेश किया जाएगा।
पटवारी का पलटवार: CM खुद ‘पर्ची की राजनीति’ कर रहे
मुख्यमंत्री के बयान पर कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान राजनीतिक अपरिपक्वता को दर्शाता है। पटवारी ने आरोप लगाया कि OBC वर्ग के साथ निरंतर अन्याय हो रहा है। उन्होंने बताया कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब पूरा वैधानिक और प्रशासनिक प्रावधान अपनाते हुए आरक्षण लागू किया गया था।
पटवारी ने सवाल उठाया कि जो अधिकारी उस वक्त उस प्रक्रिया में शामिल थे, आज वही अफसर मुख्यमंत्री के साथ हैं। फिर आज CM उन्हीं पर ‘पर्ची पर चार लाइन लिखने’ जैसा आरोप क्यों लगा रहे हैं?
प्रशासनिक तबादलों पर भी घिरी सरकार
OBC आरक्षण के अलावा पटवारी ने सरकार की प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगातार तबादले इस बात का संकेत हैं कि सरकारी मशीनरी चरमराई हुई है। न युवाओं को रोजगार मिल रहा है, न किसानों को राहत और न ही कानून व्यवस्था में स्थायित्व है।
CM ने दी सफाई: सरकार आरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दोहराया कि सरकार OBC वर्ग को 27% आरक्षण देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। वर्तमान में जो 14% आरक्षण मिल रहा है, उसमें सुधार कर सभी को लाभ देने की योजना पर काम हो रहा है। CM ने यह भी भरोसा दिलाया कि वे उन छात्रों की भी मदद करेंगे, जो कोर्ट केस के चलते ज्वॉइनिंग नहीं ले सके।
जातिगत जनगणना पर भी राजनीति
सीएम मोहन यादव ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह जातिगत जनगणना का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है। उन्होंने दावा किया कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हो रही है। CM ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि 70 साल सत्ता में रहने के बावजूद न तो उन्होंने जातिगत जनगणना करवाई, न ओबीसी को वास्तविक भागीदारी दी और न ही कभी कोई ओबीसी मुख्यमंत्री बनाया।
वहीं बीजेपी की सरकार ने, CM के अनुसार, ओबीसी और सामान्य वर्ग दोनों को प्रतिनिधित्व और आरक्षण देने का कार्य किया है।