पाकिस्तान में टकराव, भारत को मौका या खतरा ?
स्पेशल रिपोर्ट: विजय नंदन
क्या पाकिस्तान अपने सबसे बड़े और सबसे संवेदनशील सूबे बलूचिस्तान को अब विदेशी ताकतों के हाथों गिरवी रखने जा रहा है? जहां पहले से ही अलगाववाद की चिंगारी सुलग रही है, अब वहां अमेरिकी ड्रोन और खनन मशीनें दस्तक देने की तैयारी में हैं। चीन पहले ही इस इलाके में अरबों खर्च कर चुका है, लेकिन नतीजा क्या निकला? हिंसा, विरोध और अविश्वास। अब पाकिस्तान अमेरिका को बुला रहा है. वही अमेरिका जो चीन का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी है। सवाल ये है. क्या ये आर्थिक सौदा पाकिस्तान के लिए सुरक्षा की गारंटी बनेगा, या बलूचिस्तान को एक नया युद्धक्षेत्र बना देगा? और भारत के लिए क्या ये सिर्फ एक पड़ोसी की नई चाल है, या दक्षिण एशिया की रणनीतिक तस्वीर में बड़ा बदलाव? चीन और अमेरिका, दोनों की मौजूदगी एक ही ज़मीन पर.. पाकिस्तान में… भारत के लिए इसका मतलब क्या है? आइए, इन तमाम सवालों के जवाब तलाशते हैं आज की स्पेशल रिपोर्ट में…

सवाल: एक तरफ चीन का CPEC प्रोजेक्ट पहले ही स्थानीय बलूचों के विरोध का केंद्र बना हुआ है, वहीं अब पाकिस्तान ने अमेरिका को भी यहां की खनिज संपदा सौंपने का प्लान तैयार किया है।
बलूचिस्तान… पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे अमीर खनिज वाला प्रांत, लेकिन साथ ही, विद्रोह का सबसे बड़ा गढ़ भी। यहां पहले से ही चीन की मौजूदगी को लेकर असंतोष है। CPEC के नाम पर अरबों डॉलर का निवेश हुआ, लेकिन स्थानीय लोगों को मिला सिर्फ विस्थापन और सैन्य दमन।

अब पाकिस्तान सरकार, अमेरिका को भी बलूचिस्तान का खजाना लुटाने का तैयारी कर रही है.. आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने अमेरिका को रेको डिक जैसी खदानों में माइनिंग लीज देने की योजना बनाई है। दरअसल पिछले दिनों पाकिस्तान मिनरल्स इन्वेस्टमेंट फोरम हुआ जिसमें निवेश लाने ये प्लान तैयार हुआ..उसके बाद आर्मी चीफ ने बलूचिस्तान की जनता को धमकी भरी चेतावनी देकर इस डॉलर डील पर अंतिम मुहर लगाने की तरफ इशारा किया।
भारत के खिलाफ जहरीले बोल
जनरल मुनीर ने भारत की ताकत का जिक्र करते हुए कहा कि ‘अगर 13 लाख की इंडियन आर्मी अपनी ताकत के साथ ग्रेट पाकिस्तानी आर्मी को डरा नहीं सकी तो क्या ये आतंकवादी पाकिस्तानी सेना को हरा सकते हैं।’ बलूचिस्तान को पाकिस्तान का भाग्य बताते हुए पाक जनरल मुनीर ने कहा, ‘बलूचिस्तान पाकिस्तान के माथे का झूमर है। तुम 1500 बंदे कहोगे कि हम इसे लेकर जाएंगे। तुम्हारी अगली 10 नस्लें भी इसे नहीं ले जा पाएंगी।
🔴 🇵🇰 🇮🇳 #BREAKING Pakistan Army Chief General Asim Munir attacks #India in a diatribe and appears to be really rattled by #Balochistan and the escalating conflict there. #FreeBalochistan pic.twitter.com/YryAkF7tiS
— Taha Siddiqui (@TahaSSiddiqui) April 16, 2025
बलूचिस्तान को अमेरिका और ब्रिटेन के हाथों गिरवी रखने की मंशा के पीछे पाकिस्तान एक तो अरबों डॉलर की डील कर अपनी कंगाली कम करना चाहता है दूसरा बलूच विद्रोह को अमेरिकी ताकत से कुचलने की उम्मीद भी रखता है.
विदेश मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन ने यहां से अरबों कमाए, लेकिन कोई हॉस्पिटल, स्कूल या रोजगार नहीं दिया। अब अमेरिका अगर पारदर्शिता और लोकल एंगेजमेंट के साथ आए, तो शायद विरोध कम हो। लेकिन चीन और अमेरिका की कंपनियों का एक साथ काम करना – ये पाकिस्तान के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। बड़ा सवाल ये भी है – जब बलूच पहले ही चीन के खिलाफ हथियार उठा चुके हैं, तो क्या अमेरिका की मौजूदगी से हालात और नहीं बिगड़ेंगे?” “इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में बलूचिस्तान की आवाम जरूरी देगी.
बलूचिस्तान: खनिज संसाधनों की खान
- तांबा: रेको डिक और सैंडाक़ जैसी विश्व स्तरीय खदानों में विशाल भंडार
- सोना: रेको डिक में प्रति टन खनिज में औसतन 0.22 ग्राम सोना
- कोयला: माच, डेरा बुगती और लोरालाई में उच्च गुणवत्ता वाला कोयला
- यूरेनियम: चगाई जैसे क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में मौजूद
- लोहा: कलात और चगाई जिलों में आयरन ओर्स के भंडार
- क्रोमाइट: खारन और ज़ियारत जिलों में उपलब्ध
- लिथियम और कोबाल्ट: आधुनिक बैटरी तकनीक के लिए संभावित स्रोत
- मैरबल, सल्फर, सेंडस्टोन, ग्रेनाइट और नौसैनिक पत्थर प्रचुर मात्रा में है
पाक: चीन $65 बिलियन निवेश
- CPEC परियोजनाओं के तहत निवेश हुआ
- 33 बिलियन डॉलर: ऊर्जा परियोजनाओं https://swadeshlive.com/bhel-fy25-performance-19-percent-revenue-growth-record-order-book/
- 11 बिलियन डॉलर: सड़कों, रेलवे व मोटरवे
- ग्वादर पोर्ट: बंदरगाह, एयरपोर्ट व लॉजिस्टिक ढांचे में निवेश
- SEZs व टेक पार्क: औद्योगिक और तकनीकी विकास
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