मध्य प्रदेश सरकार ने अंगदान और देहदान को लेकर एक प्रेरणादायक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की है कि मृत्यु के बाद अंगदान या देहदान करने वालों को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। इतना ही नहीं, उनके परिवार को भी राष्ट्रीय पर्वों पर सार्वजनिक सम्मान दिया जाएगा।
ऐलान की अहम बातें
- मृत्यु के बाद अंगदान या देहदान करने वाले व्यक्ति को मिलेगा गार्ड ऑफ ऑनर।
- उनके परिवार को 26 जनवरी या 15 अगस्त के मौके पर सार्वजनिक रूप से किया जाएगा सम्मानित।
- मुख्यमंत्री ने इस पहल को बताया – “अमरता का दान”।
सीएम मोहन यादव का बयान
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“मृत्यु के बाद जीवन का दान देना सिर्फ दान नहीं, अमरता है। जो लोग शरीर, हृदय, लिवर या किडनी जैसे अंग दान करते हैं, उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम विदाई दी जाएगी और उनके परिवार को राष्ट्रीय पर्वों पर सम्मानित किया जाएगा।”
प्रशासन ने जारी किए निर्देश
सीएम की घोषणा के तुरंत बाद, सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं:
- कमिश्नर, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया गया है कि इस फैसले को जमीनी स्तर पर लागू करें।
- सरकार चाहती है कि यह नियम पूरे राज्य में एकसमान लागू हो और हर जरूरतमंद तक पहुंचे।
क्या है इस फैसले का उद्देश्य?
प्रेरणा का स्रोत बनेगा यह सम्मान
- सरकार का मानना है कि गार्ड ऑफ ऑनर और सम्मान जैसे कदम लोगों को अंगदान की ओर प्रेरित करेंगे।
- यह एक प्रयास है जिससे सामाजिक चेतना और सकारात्मक बदलाव को बल मिलेगा।
अंगदान क्यों है जरूरी?
- हर साल भारत में लाखों लोग अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा करते हैं।
- एक व्यक्ति का अंगदान कई जिंदगियों को बचा सकता है।
- सरकार का यह फैसला समाज में अंगदान को लेकर जागरूकता बढ़ाने का काम करेगा।
मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा लिया गया यह फैसला सामाजिक बदलाव की दिशा में एक बड़ी पहल है। इससे ना सिर्फ अंगदान की महत्ता को बल मिलेगा बल्कि समाज में ऐसे दानवीरों को वह सम्मान और पहचान मिलेगी, जिसके वे सच्चे हकदार हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह नीति प्रदेश में जमीनी स्तर पर कैसे लागू होती है और इससे कितने लोग प्रेरित होकर अंगदान के लिए आगे आते हैं।