नासा ने भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री अनिल मेनन को उनके पहले अंतरिक्ष मिशन के लिए चुना है। वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के एक्सपीडिशन 75 मिशन में फ्लाइट इंजीनियर और मिशन क्रू के सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
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इस महत्वपूर्ण मिशन के दौरान वे अंतरिक्ष में लगभग आठ महीने बिताएंगे।
जून 2026 में होगा लॉन्च
- अनिल मेनन जून 2026 में रोस्कोस्मोस सोयुज एमएस-29 अंतरिक्ष यान से लॉन्च होंगे।
- उनके साथ रूसी अंतरिक्ष यात्री प्योत्र डबरोव और अन्ना किकिना भी होंगे।
- लॉन्च कजाकिस्तान के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से किया जाएगा।
- तीनों क्रू सदस्य लगभग 8 महीने अंतरिक्ष प्रयोगशाला में वैज्ञानिक प्रयोग और मिशन संचालन में जुटे रहेंगे।
कौन हैं अनिल मेनन?
बहुआयामी प्रतिभा के धनी
- मूल रूप से मिनियापोलिस (अमेरिका) से हैं।
- पेशे से वे सिर्फ अंतरिक्ष यात्री नहीं, बल्कि:
- आपातकालीन चिकित्सक
- मैकेनिकल इंजीनियर
- यू.एस. स्पेस फोर्स में कर्नल भी हैं।
शिक्षा और योग्यता
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबायोलॉजी में ग्रेजुएट।
- स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मेडिकल डिग्री।
- मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स भी किया है।
- यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास मेडिकल ब्रांच से एयरोस्पेस और आपातकालीन चिकित्सा में रेजीडेंसी पूरी की।
स्पेसएक्स से नासा तक की यात्रा
- नासा से पहले वे स्पेसएक्स के पहले फ्लाइट सर्जन रहे।
- स्पेसएक्स डेमो-2 मिशन के दौरान मानव मिशन की चिकित्सा निगरानी में अहम भूमिका निभाई।
- उन्होंने स्पेसएक्स के मेडिकल सपोर्ट सिस्टम की नींव रखी।
- साथ ही, कई नासा मिशनों में क्रू फ्लाइट सर्जन की भूमिका भी निभाई।
वर्तमान गतिविधियां
- अपने खाली समय में:
- टेक्सास मेडिकल सेंटर में चिकित्सा सेवा देते हैं।
- यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में मेडिकल छात्रों को पढ़ाते हैं।
क्यों खास है यह मिशन?
यह मिशन न केवल अनिल मेनन के करियर का अहम पड़ाव है, बल्कि भारतीय मूल के लोगों के लिए भी गर्व की बात है। नासा द्वारा उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपना उनके विज्ञान, चिकित्सा और अंतरिक्ष तकनीक में योगदान को मान्यता देने जैसा है।
अनिल मेनन की यह अंतरिक्ष यात्रा विज्ञान, अंतरिक्ष अनुसंधान और मानव क्षमता की एक प्रेरक कहानी बनकर उभरेगी। उनके अनुभव और विविध पृष्ठभूमि के चलते इस मिशन से जुड़ी अपेक्षाएं और भी ज्यादा बढ़ गई हैं।