मध्यप्रदेश के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी कानूनी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मानसिंह प्रकरण में CBI जांच की मांग और SIT की खात्मा रिपोर्ट में हस्तक्षेप की याचिका को खारिज कर दिया है। इस फैसले से जहां मंत्री राजपूत के समर्थकों में हर्ष की लहर है, वहीं उनके राजनीतिक विरोधियों को बड़ा झटका लगा है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि—
जब इस मामले में निचली अदालत में खात्मा रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी है और जांच एजेंसियों ने अपना कार्य पूरा कर लिया है, तब शीर्ष अदालत को किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने CBI जांच की मांग को भी बिना पर्याप्त ठोस आधार के मानते हुए खारिज कर दिया।
इस फैसले को गोविंद सिंह राजपूत की राजनीतिक और कानूनी जीत के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, विपक्ष की ओर से उठाए गए मुद्दे को अब कमजोर माना जा रहा है, जिससे उनकी रणनीति को झटका लगा है।
क्या था पूरा मामला:
सागर जिले के निवासी विनय मलैया और राजकुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर, पूर्व में गठित एसआईटी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। उन्होंने CBI जांच की मांग करते हुए यह दावा किया कि SIT द्वारा प्रस्तुत खात्मा रिपोर्ट संदिग्ध है और इसकी गहराई से जांच की जानी चाहिए।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि यह न्यायिक प्रणाली में अनावश्यक हस्तक्षेप करने जैसा होगा और ऐसे मामलों में अदालत की भूमिका सीमित होती है।
राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। जहां गोविंद सिंह राजपूत के समर्थक इस निर्णय को उनकी ईमानदारी और निष्कलंक छवि की पुष्टि बता रहे हैं, वहीं विरोधी खेमे में निराशा देखी जा रही है।
यह फैसला न सिर्फ कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी मंत्री राजपूत की स्थिति को और मजबूत करता है।
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