भोपाल: एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने एक अद्भुत चिकित्सा कारनामा अंजाम देते हुए 3 साल की एक बच्ची के सिर और गर्दन से जुड़े पैरासाइटिक ट्विन (परजीवी जुड़वां भ्रूण) को सफलतापूर्वक अलग कर दिया। यह दुर्लभ सर्जरी मेडिकल साइंस में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
केस की पूरी कहानी
बच्ची, जो मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले की रहने वाली है, के गर्दन के पिछले हिस्से में जन्म से ही एक असामान्य गांठ थी। शुरू में परिवार ने इसे सामान्य समझा, लेकिन जैसे-जैसे बच्ची बड़ी होने लगी, यह गांठ भी बढ़ने लगी। चिंतित होकर परिवार ने एम्स भोपाल के न्यूरोसर्जरी विभाग में संपर्क किया।
कैसे हुई पहचान?
- सीटी स्कैन और एमआरआई जांच में पता चला कि यह कोई सामान्य गांठ नहीं बल्कि एक अविकसित जुड़वां भ्रूण (पैरासाइटिक ट्विन) है।
- मेडिकल टीम ने पाया कि इस गांठ में हड्डियाँ, मांसपेशियाँ और तंत्रिका तंत्र के अंश मौजूद थे, जो साबित करता है कि यह एक जीवित भ्रूण का अवशेष था।
- यह अविकसित भ्रूण बच्ची के स्कल बेस और सर्वाइकल स्पाइन (गर्दन की हड्डी) से जुड़ा हुआ था, जिससे सर्जरी और भी जटिल हो गई थी।
क्या होता है पैरासाइटिक ट्विन?
- यह एक अत्यंत दुर्लभ मेडिकल कंडीशन है जो प्रति 10 लाख जन्मों में से मात्र 1-2 केस में देखने को मिलती है।
- इसमें जुड़वां भ्रूणों में से एक का विकास रुक जाता है, लेकिन वह दूसरे भ्रूण से जुड़ा रह जाता है।
- यह अविकसित भ्रूण शरीर के किसी भी हिस्से (पेट, सिर, रीढ़ या यहाँ तक कि मुँह के अंदर भी) से जुड़ा हो सकता है।
- मेडिकल भाषा में इसे “असिमेट्रिक कॉनजॉइंड ट्विनिंग” भी कहा जाता है।
सर्जरी की चुनौतियाँ
- खतरनाक लोकेशन: पैरासाइटिक ट्विन बच्ची के ब्रेन स्टेम और स्पाइनल कॉर्ड के पास था, जहाँ थोड़ी सी भी गलती जानलेवा हो सकती थी।
- ब्लीडिंग का खतरा: अविकसित भ्रूण में रक्त वाहिकाएँ पूरी तरह विकसित नहीं थीं, जिससे सर्जरी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव का जोखिम था।
- नर्व डैमेज का डर: गर्दन की नसों के पास होने के कारण सर्जरी से चेहरे के पैरालिसिस या अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ हो सकती थीं।

कैसे की गई सर्जरी?
- मल्टीडिसिप्लिनरी टीम: न्यूरोसर्जन्स, पीडियाट्रिक सर्जन्स, एनेस्थीसिया एक्सपर्ट्स और रेडियोलॉजिस्ट की एक टीम ने मिलकर 6 घंटे तक चले इस ऑपरेशन को अंजाम दिया।
- 3D इमेजिंग टेक्नोलॉजी: सर्जरी से पहले 3D प्रिंटेड मॉडल बनाकर टीम ने सटीक प्लानिंग की।
- माइक्रोसर्जरी तकनीक: विशेष माइक्रोस्कोपिक उपकरणों से अविकसित ऊतकों को बिना नुकसान पहुँचाए अलग किया गया।
- रियल-टाइम मॉनिटरिंग: बच्ची के हृदय गति, मस्तिष्क तरंगों और रक्तचाप पर निरंतर नजर रखी गई।
ऑपरेशन के बाद की स्थिति
- बच्ची को पीडियाट्रिक आईसीयू में रखा गया, जहाँ उसकी हालत पर नजर रखी जा रही है।
- अब तक कोई न्यूरोलॉजिकल डैमेज नहीं हुआ है और वह सामान्य रूप से साँस ले रही है।
- डॉक्टर्स के अनुसार, अगले 48 घंटे क्रिटिकल हैं, लेकिन अब तक सभी पैरामीटर सामान्य हैं।
एम्स भोपाल के डॉक्टर्स का बयान
“यह केस मेडिकल साइंस के लिए एक चुनौती था। हमने पहले भी कई जटिल सर्जरी की हैं, लेकिन क्रेनियल पैरासाइटिक ट्विन इतना दुर्लभ है कि दुनिया भर में ऐसे केस गिने-चुने ही देखने को मिलते हैं।”
— डॉ. राजीव वर्मा, प्रमुख न्यूरोसर्जन, एम्स भोपाल
पैरासाइटिक ट्विन के लक्षण
अगर किसी नवजात में ये लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
✓ शरीर पर कोई असामान्य गांठ या उभार
✓ अंगों का सही तरह से विकसित न होना
✓ साँस लेने या खाने में दिक्कत
✓ बार-बार होने वाले इन्फेक्शन
भारत में ऐसे ही कुछ दुर्लभ मामले
- 2022: एम्स दिल्ली में एक नवजात के पेट से पैरासाइटिक ट्विन निकाला गया।
- 2020: चेन्नई में एक बच्चे के मुँह के अंदर से अविकसित जुड़वां भ्रूण निकाला गया।
क्या यह जेनेटिक समस्या है?
डॉक्टर्स के अनुसार, इसका सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान भ्रूण का अपूर्ण विभाजन मुख्य वजह मानी जाती है। इसे रोकने का कोई तरीका अभी तक नहीं खोजा जा सका है।




