रिपोर्टर: चन्द्रकान्त पारगीर
कोरिया जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत बुढ़ार में विकास के सरकारी दावों की असलियत अब सड़कों की हालत बयां कर रही है। गांव की अधिकांश सड़कें जर्जर हो चुकी हैं, जिनमें सबसे बदतर स्थिति मंडलपारा मार्ग की है। यहां चलना अब ग्रामीणों के लिए किसी जोखिम से कम नहीं है।
2009 में बनी सड़क अब गड्ढों में गायब
बुढ़ार पंचायत के मंडलपारा मार्ग पर 2009 में डामरीकरण कार्य हुआ था, लेकिन पिछले 15 वर्षों में इस सड़क की मरम्मत तक नहीं की गई। नतीजा यह है कि पूरी सड़क अब गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। बारिश के मौसम में यह रास्ता दलदल में बदल जाता है, जिससे वाहन चलाना और पैदल चलना दोनों ही मुश्किल हो गया है।
नेताओं के आश्वासन, लेकिन कोई सुधार नहीं
बीते वर्षों में पंचायत, विधानसभा और लोकसभा के कई चुनाव हुए। हर चुनाव में नेताओं ने सड़क मरम्मत और गांव के विकास का वादा किया, लेकिन आज तक कुछ भी नहीं बदला। ग्रामीणों का कहना है कि अब वे झूठे आश्वासनों से तंग आ चुके हैं।
नालियों का निर्माण भी अधूरा, सड़कों पर बह रहा गंदा पानी
पंचायत की अन्य गलियों और सड़कों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। कई जगह नालियों का निर्माण केवल कागजों में हुआ है। जिन स्थानों पर नालियां बनी भी हैं, वहां निकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण गंदा पानी सड़कों पर बहता है और सड़कें और ज्यादा क्षतिग्रस्त हो रही हैं।
ग्रामीणों की नाराजगी, विरोध की चेतावनी
गांव के लोगों में अब इस उपेक्षा को लेकर भारी नाराजगी है। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि यदि जल्द ही सड़क मरम्मत का काम शुरू नहीं किया गया, तो वे आंदोलन और विरोध प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे। लोगों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को चेतावनी दी है कि अब और चुप नहीं बैठा जाएगा।
बुढ़ार पंचायत की सड़कों की ये दुर्दशा न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि ग्रामीण विकास अब भी सिर्फ चुनावी भाषणों तक सीमित है।