रिपोर्टर: चन्द्रकान्त पारगीर
कोरिया जिले में जल संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन जहां “आवा झोंकी पानी” अभियान चला रहा है, वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है। जिला भर में जल बचाने को लेकर दीवारों पर सुंदर व प्रेरणादायक वाल पेंटिंग की जा रही है, लेकिन जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत बुढ़ार में पीने का पानी बिना किसी रोक-टोक के बह रहा है।
टोटियों के अभाव में नलों से बह रहा हजारों लीटर पानी
बुढ़ार पंचायत में जल जीवन मिशन के तहत घरों और सार्वजनिक स्थानों तक पानी तो पहुंच गया है, लेकिन अधिकांश नलों में टोटियां ही नहीं लगी हैं। पाइपलाइनें जगह-जगह से टूटी हुई हैं और कई नल खुले मैदानों में लगे हुए हैं, जिससे लगातार हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह रहा है। यह नजारा जल संरक्षण अभियान की मंशा पर सवाल खड़े करता है।
सप्ताह में केवल तीन दिन होती है जल आपूर्ति
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि गांव में सप्ताह में सिर्फ तीन दिन — वो भी केवल सुबह 6 बजे से 6:30 बजे तक — ही जल आपूर्ति की जाती है। इसके चलते ग्रामीणों को दो-दो दिन तक पीने और घरेलू उपयोग के लिए पानी का भंडारण करना पड़ता है।
एक ओर प्रचार, दूसरी ओर लापरवाही
जिला प्रशासन द्वारा जल संरक्षण को लेकर जोरदार प्रचार किया जा रहा है। दीवारों पर “पानी बचाओ, जीवन बचाओ” जैसे संदेश लिखे जा रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक अमले की निगरानी की कमी के कारण बुढ़ार पंचायत जैसे गांवों में जल की बर्बादी खुलेआम हो रही है।
स्थानीय लोगों की मांग – हो जल्द सुधार
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायतों के बावजूद नलों की मरम्मत नहीं हुई। टूटे स्ट्रक्चर, लीक होते पाइप और बिना टोटी के नलों से पानी की बर्बादी से गांव में आक्रोश है। लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इन नलों की मरम्मत की जाए और जल वितरण व्यवस्था को नियमित किया जाए।
“आवा झोंकी पानी” अभियान तभी सफल हो सकता है जब उसका असर सिर्फ दीवारों तक नहीं बल्कि गांवों के हर नल तक दिखाई दे।”