कर्नाटक में आज से बसों का पहिया थम गया है। राज्य के चारों सड़क परिवहन निगम—KSRTC, BMTC, NWKRTC और KKRTC—के कर्मचारियों ने हड़ताल का ऐलान किया है। इस हड़ताल में ड्राइवर और कंडक्टर से लेकर अन्य कर्मचारी भी शामिल हैं।
इस चक्का जाम के कारण आम यात्रियों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
हाई कोर्ट का आदेश और सरकार की सख्ती
सोमवार को कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में कर्मचारियों की संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) को मंगलवार तक हड़ताल टालने का निर्देश दिया था।
लेकिन आदेश के बावजूद हड़ताल शुरू हो गई है।
परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा:
- “सभी को हाई कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए।”
- “क्या कर्मचारी कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर सकते हैं? क्या वे कोर्ट से ऊपर हैं?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार मामले को कोर्ट के संज्ञान में लाएगी और सभी चार निगमों के प्रबंध निदेशकों को तय कार्यक्रम के अनुसार बस सेवाएं चलाने का निर्देश दिया गया है।
रोजाना 1.1 करोड़ यात्री प्रभावित
कर्नाटक के ये चारों परिवहन निगम मिलकर हर दिन लगभग 1.1 करोड़ यात्रियों को सेवा प्रदान करते हैं।
- सिर्फ BMTC की बसों से ही रोजाना 40 लाख से अधिक लोग यात्रा करते हैं।
- हड़ताल के कारण इन यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
कर्मचारियों की मुख्य मांग
सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी 38 महीने (जनवरी 2020 से फरवरी 2023 तक) की बकाया तनख्वाह की मांग कर रहे हैं।
- इसका अनुमानित बकाया 1,785 करोड़ रुपये है।
- 2020 में कर्नाटक सरकार ने 15% वेतन वृद्धि की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिला।
कर्नाटक में बसों की इस हड़ताल ने यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हाई कोर्ट के आदेश और सरकार की चेतावनियों के बावजूद कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। अब देखना होगा कि क्या सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच बातचीत से कोई समाधान निकलता है या यात्रियों को लंबे समय तक परेशानी झेलनी पड़ेगी।