कर्नाटक में कल, यानी 22 मार्च को प्रदेशव्यापी बंद का आह्वान किया गया है। यह बंद सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक रहेगा। इसका कारण बेलगावी में कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) के एक कंडक्टर पर हमला है, जिसे मराठी न बोलने के लिए प्रताड़ित किया गया। यह घटना कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच लंबे समय से चले आ रहे भाषाई तनाव को फिर से भड़काने वाली साबित हुई है।
क्या है मामला?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब बेलगावी शहर से बालेकुंदरी जा रही KSRTC बस के कंडक्टर पर कथित तौर पर मराठी समर्थकों ने हमला किया। इसके बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच चलने वाली बस सेवाएं भी रोक दी गईं। यह घटना दोनों राज्यों के बीच सीमा और भाषा को लेकर चल रहे विवाद को और बढ़ा देती है।

कन्नड़ संगठनों की मुख्य मांगें
- मराठी समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई: कन्नड़ संगठनों ने महाराष्ट्र एकीकरण समिति (MES) जैसे समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका आरोप है कि ये समूह हिंसा भड़काने और क्षेत्रीय सद्भाव को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं।
- तनाव फैलाने वाले संगठनों पर प्रतिबंध: प्रदर्शनकारी उन संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं, जो कन्नड़ और मराठी भाषियों के बीच तनाव बढ़ाने का काम करते हैं।
- सुरक्षा बढ़ाने की मांग: बेलगावी और अन्य संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने की मांग की गई है।
सरकार की प्रतिक्रिया
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा है कि सरकार बंद को प्रोत्साहित नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन कन्नड़ संगठनों से बात करेगा और उन्हें समझाएगा कि यह सही तरीका नहीं है।
बेलगावी विवाद की पृष्ठभूमि
बेलगावी को लेकर यह विवाद 1957 से चला आ रहा है, जब भारत में भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ था। महाराष्ट्र का दावा है कि बेलगावी और 800 से अधिक मराठी बहुल गांवों को महाराष्ट्र में शामिल किया जाना चाहिए। वहीं, कर्नाटक इस क्षेत्र को अपना अभिन्न अंग मानता है और महाराष्ट्र के दावों का विरोध करता है।
बंद का प्रभाव
बंद के दौरान सार्वजनिक परिवहन, दुकानें और व्यवसाय प्रभावित हो सकते हैं। यात्रियों और व्यापारियों को सलाह दी गई है कि वे संभावित व्यवधानों के लिए तैयार रहें।
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