झारखंड की राजधानी रांची में भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की। इस बैठक में कोयला खनन, ग्रीन ट्रांजिशन और सतत विकास जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
राजदूत ने कहा कि मुख्यमंत्री सोरेन जटिल विषयों पर गहराई से सोचने वाले नेता हैं और उन्होंने झारखंड में कोयला खनन के भविष्य को लेकर काफी स्पष्ट दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।
जर्मनी दौरे की योजना: प्रेरणा लेने का मौका
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जल्द ही जर्मनी का दौरा करने की योजना बना रहे हैं। इस यात्रा का मकसद यह देखना है कि किस तरह जर्मनी ने अपनी पुरानी कोयला खदानों को पार्क, बिजनेस सेंटर और म्यूजियम में बदला है।
यह दौरा झारखंड के लिए नई प्रेरणाओं का द्वार खोल सकता है। हालांकि हर मॉडल भारत पर पूरी तरह लागू नहीं होता, लेकिन जर्मनी का अनुभव दिशा दिखा सकता है।
हरित साझेदारी में झारखंड की भूमिका
राजदूत एकरमैन ने यह भी बताया कि झारखंड, भारत और जर्मनी के बीच ग्रीन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट पार्टनरशिप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस साझेदारी के तहत कई स्तरों पर परियोजनाएं चल रही हैं और कोयला से हरित ऊर्जा की ओर बदलाव पर भी फोकस है।
कोयले की खदानों का भविष्य और स्थानीय रोजगार
जर्मनी में अधिकतर ब्लैक कोल (धनकोयला) की खदानें अब बंद हो चुकी हैं। इसका स्थानीय निवासियों पर गहरा असर पड़ा, और यही अनुभव झारखंड के लिए भी सीख हो सकता है।
जब कोयला खदानें बंद होती हैं, तो सबसे बड़ा सवाल होता है कि वहां काम करने वाले लोगों का भविष्य क्या होगा? उनकी आजीविका कैसे चलेगी? इसी मुद्दे पर भारत-जर्मनी मिलकर रणनीति बना सकते हैं।
हेमंत सोरेन का बयान
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड और जर्मनी के बीच संबंधों को मजबूत करने और साझा अवसरों की खोज को लेकर राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। यह मुलाकात दोनों पक्षों के लिए सहयोग के नए आयाम खोल सकती है।
निष्कर्ष: साझेदारी से क्या बदलाव संभव हैं?
- कोयला आधारित अर्थव्यवस्था से हरित विकास की ओर झुकाव
- स्थानीय रोजगार और सामाजिक सुरक्षा की रणनीति
- अंतरराष्ट्रीय अनुभवों से प्रेरणा लेकर स्थानीय समाधान
- साझा परियोजनाओं के ज़रिए टिकाऊ और समावेशी विकास