भारत और जर्मनी के बीच संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। हाल ही में, जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान डेविड वेडफुल ने भारत का दौरा किया और अपने भारतीय समकक्ष, एस. जयशंकर के साथ मुलाकात की। इस महत्वपूर्ण बैठक का उद्देश्य दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करना, मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की बातचीत को तेज करना और वैश्विक मुद्दों पर मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता को दोहराना था।
यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण था क्योंकि यह यूरोप के बाहर उनकी शुरुआती यात्राओं में से एक थी। वेडफुल अपने साथ एक मजबूत व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल और सांसदों को भी लाए, जो भारत के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने की जर्मनी की गंभीर इच्छा को दर्शाता है। उन्होंने बेंगलुरु में भारत की मजबूत प्रौद्योगिकी और नवाचार क्षमता का भी अनुभव किया।
बैठक में क्या हुई चर्चा?
बैठक में दोनों नेताओं ने आगामी अंतर-सरकारी परामर्श (Inter-Governmental Consultations) की तैयारी की रूपरेखा तय की। बातचीत का एक प्रमुख बिंदु मुक्त व्यापार समझौता (FTA) था। भारत ने जर्मनी से यूरोपीय संघ के साथ FTA वार्ता में तेजी लाने में मदद करने की उम्मीद जताई, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा।
व्यापार के अलावा, मंत्रियों ने कई महत्वपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचार साझा किए, जिनमें शामिल हैं:
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिति
- यूक्रेन का युद्ध
- पश्चिम एशिया की स्थिति
Opening remarks at my meeting with FM @JoWadephul of Germany. @AussenMinDE
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 3, 2025
🇮🇳 🇩🇪
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मजबूत संबंधों का इतिहास
जैसा कि विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया, भारत और जर्मनी के बीच संबंध दशकों पुराने सहयोग पर आधारित हैं। दोनों देश मना रहे हैं:
- 25 साल की रणनीतिक साझेदारी
- 50 साल का वैज्ञानिक सहयोग
- 60 साल पुराने सांस्कृतिक समझौते
- 100 साल से भी ज्यादा के कारोबारी रिश्ते
यह यात्रा इस मजबूत विरासत को आगे बढ़ाने और उभरते हुए क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने का एक स्पष्ट संकेत है। जयशंकर ने यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के लिए जर्मनी के समर्थन पर भरोसा जताया।
यह साझेदारी क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत और जर्मनी के बीच का रिश्ता दोनों देशों और वैश्विक समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
- यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार: जर्मनी, यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2024-25 में, द्विपक्षीय व्यापार लगभग $26 बिलियन तक पहुंच गया, जो मजबूत आर्थिक संबंधों को दर्शाता है।
- बहुपक्षीय सहयोग: दोनों देश लंबे समय से विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन करते रहे हैं, और साझा चुनौतियों का समाधान करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
आगे का रास्ता
विशेषज्ञों का मानना है कि जर्मन विदेश मंत्री का यह दौरा भारत-जर्मनी संबंधों को एक नई दिशा देगा और FTA पर ठोस प्रगति की नींव रखेगा। आगामी महीनों में होने वाले अंतर-सरकारी परामर्श इन साझेदारियों को और मजबूत करेंगे, जिससे प्रौद्योगिकी, व्यापार और रणनीतिक मामलों में सहयोग का एक स्पष्ट रोडमैप तैयार होगा।