भारतीय वायुसेना अब विदेशी हथियारों की जगह स्वदेशी ताकत पर भरोसा जता रही है। खासतौर पर माइका मिसाइल के स्थान पर ‘अस्त्र’ मिसाइल को तैनात करने का निर्णय इसी दिशा में एक अहम कदम है। DRDO प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत की अगली सैन्य रणनीतियों और मिसाइल प्रणालियों की जानकारी साझा की।
उनके अनुसार, आने वाले वर्षों में भारत की एयर डिफेंस क्षमता में बड़ा उछाल देखने को मिलेगा। जानिए इस रिपोर्ट में DRDO की स्वदेशी मिसाइलों को लेकर भारत की योजनाएं और उनके फायदों के बारे में।
अस्त्र Mk-2 और Mk-3: क्या हैं नए अपडेट?
DRDO प्रमुख ने बताया कि:
- अस्त्र Mk-1 मिसाइल पहले ही भारतीय वायुसेना में शामिल हो चुकी है।
- अस्त्र Mk-2 और Mk-3 वर्जन पर तेज़ी से काम चल रहा है।
- ये सभी मिसाइलें हवा से हवा में मार करने वाली (Air-to-Air) श्रेणी में आती हैं।
- इनका उद्देश्य दुश्मन के विमान को बिना आंखों से देखे ही नष्ट करना है (Beyond Visual Range Missile)।
अस्त्र मिसाइल की खास विशेषताएं
- रेंज: 130 से 160 किलोमीटर तक
- ऊंचाई क्षमता: 66,000 फीट तक
- स्पीड: लगभग 5,556.6 किमी/घंटा
- वारहेड क्षमता: 15 किलो तक का High Explosive या Pre-fragmented HMX
- गाइडेंस: लक्ष्य को ट्रैक करते हुए उच्च सटीकता से टारगेट को हिट करती है
- वजन: 154 किलोग्राम
- लंबाई: 12.6 फीट
किन विमानों में होगी तैनाती?
- तेजस MK-2
- AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft)
- TEDBF (Twin Engine Deck-Based Fighter)
ब्रह्मोस NG और रुद्रम पर क्या है योजना?
- DRDO ब्रह्मोस मिसाइल की Next Generation वर्जन (NG) पर काम कर रहा है।
- वर्तमान में ब्रह्मोस सिर्फ सुखोई विमानों में तैनात है, लेकिन भविष्य में इसे और फाइटर जेट्स में जोड़ा जाएगा।
- ब्रह्मोस की सटीकता और लंबी दूरी की मारक क्षमता इसे भारत का सबसे खतरनाक हथियार बनाती है।
- रुद्रम मिसाइल, जो रडार नष्ट करने में सक्षम है, भी जल्द भारतीय वायुसेना की ताकत बनेगी।
भारत बनाएगा अपना ‘आयरन डोम’: लेयर्ड डिफेंस सिस्टम की योजना
डॉ. कामत ने बताया कि भारत आयरन डोम की तर्ज पर एक मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम तैयार कर रहा है।
मौजूदा प्रणालियाँ:
- आकाश मिसाइल सिस्टम
- QRSAM (Quick Reaction Surface to Air Missile)
- S-400 एयर डिफेंस सिस्टम
भविष्य की योजना:
- S-500 के समकक्ष ‘कुशा’ मिसाइल सिस्टम विकसित की जा रही है।
- यह सिस्टम पूरे देश की रक्षा के लिए कई इकाइयों में तैनात की जाएगी।
AMCA परियोजना: भारत का भविष्य का फाइटर जेट
- AMCA को 2024 में मंजूरी मिल चुकी है।
- पहला प्रोटोटाइप 2029 तक तैयार होगा।
- 2034 तक परीक्षण पूरे होंगे और 2035 से भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा।
- यह प्रोजेक्ट HAL या प्राइवेट सेक्टर के सहयोग से पूरा किया जाएगा।
आत्मनिर्भर रक्षा के लिए बढ़ता आत्मविश्वास
भारत अब रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है। DRDO की ये परियोजनाएं न केवल भारत की सामरिक ताकत को बढ़ाएंगी, बल्कि विदेशी निर्भरता को भी खत्म करेंगी। अस्त्र Mk-2, ब्रह्मोस NG और लेयर्ड डिफेंस सिस्टम जैसी तकनीकें भारत को वैश्विक सैन्य ताकतों की कतार में लाकर खड़ा करेंगी।