संवाददाता – प्रयास कैवर्त
सरकार जहां पंचायतों को मजबूत बनाने और ग्रामीण विकास के लिए करोड़ों रुपए की राशि उपलब्ध कराती है, वहीं जमीनी हकीकत कई बार इसके उलट तस्वीर दिखाती है। ऐसा ही मामला सामने आया है गौरेला–पेंड्रा–मरवाही जिले के ग्राम पंचायत परासी से, जहां सरपंच और सचिव पर 15वीं वित्त आयोग की राशि में फर्जी बिल लगाकर 7 लाख 50 हजार रुपए के गबन का गंभीर आरोप लगा है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ ग्रामीणों का हल्ला बोल
सरपंच–सचिव के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई न होते देख ग्रामीणों ने जनपद पंचायत मरवाही कार्यालय के सामने आमरण अनशन शुरू कर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि तीन महीने पूर्व ही इस मामले की शिकायत जनपद पंचायत सीईओ, जिला कलेक्टर और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तक की गई थी, लेकिन अधिकारियों की सुस्त कार्यशैली के कारण अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जमीनी स्तर पर काम अधूरे
ग्रामीणों का कहना है कि जिन कामों का भुगतान कागजों पर दिखाया गया है, उनकी हकीकत गांव में कहीं नजर नहीं आती।
- कहीं सड़क अधूरी है
- कहीं नाली टूटी पड़ी है
- कहीं तालाब और हैंडपंप केवल कागजों पर ही बने हुए हैं
ग्रामीणों ने इसे मरवाही विधानसभा का अब तक का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार करार दिया है।
पंचायत चुनाव के 6 महीने में बड़ा घोटाला
ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत चुनाव के महज छह महीने के भीतर ही बड़े पैमाने पर फर्जी बिल लगाकर राशि का गबन किया गया। उन्होंने कहा कि लाखों रुपए की हेराफेरी के बावजूद कार्रवाई में हो रही देरी ने अधिकारियों की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जब तक सरपंच और सचिव पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, उनका आमरण अनशन जारी रहेगा। उनका कहना है कि यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं बल्कि पूरे पंचायत तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल है।