ग्वालियर में हाल ही में बनाई गई ‘महल रोड’ मंगलवार सुबह अचानक धंस गई, जिससे नीचे सुरंग जैसी गहराई सामने आ गई। यह सड़क केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के महल तक जाती है और VIP रोड मानी जाती है। एक महीने पहले ही करोड़ों की लागत से बनी इस सड़क का बार-बार धंसना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है।
एक नजर में मुख्य बातें:
- स्थान: जीवाजी क्लब के पास, ग्वालियर
- घटना: बारिश के बाद सड़क धंसी
- प्रभाव: ट्रक सहित कई वाहन फंसे
- प्रोजेक्ट लागत: ₹19 करोड़
- निर्माण एजेंसी: नगर निगम व स्मार्ट सिटी परियोजना
- कार्रवाई: दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित
सुरंग जैसी गहराई में बदली ‘महल रोड’
मंगलवार सुबह स्थानीय लोगों ने जीवाजी क्लब के पास सड़क को धंसा हुआ पाया। जैसे-जैसे लोग नजदीक पहुंचे, उन्हें अहसास हुआ कि सड़क के नीचे एक सुरंग जैसी गहराई नजर आ रही है। कई वाहन इसमें फंस गए, जिसमें एक ट्रक भी शामिल था। घटना के बाद तुरंत प्रशासन ने हिटैची और रोलर मशीनों से गड्ढे में गिट्टी भरने का काम शुरू किया।
10 दिन में 10 बार धंसी यह VIP सड़क
- यह सड़क महज एक महीने पहले ही बनाई गई थी।
- पिछले 10 दिनों में 10 बार अलग-अलग हिस्सों में धंस चुकी है।
- निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों को 6 महीने तक वन-वे ट्रैफिक की परेशानी झेलनी पड़ी थी।
- सड़क माधव नगर से चेतकपुरी के बीच बनाई गई थी, जिसकी लागत लगभग ₹4.30 करोड़ थी।
स्थानीय लोग बोले – “सड़क नहीं, सुरंग दिख रही थी”
स्थानीय निवासी अर्जुन शर्मा ने बताया,
“जब हम सड़क के पास से गुजरे तो बिल्कुल भी अहसास नहीं हुआ कि यह सड़क है। यह तो मानो कोई सुरंग हो।”
ऐसे दृश्य अब ग्वालियर में आम होते जा रहे हैं, जहां नई बनी सड़कें भी पहली ही बारिश में जवाब दे रही हैं।
प्रशासन ने बनाई जांच कमेटी
घटना के बाद ग्वालियर कलेक्टर रुचिका सिंह चौहान ने दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है, जो 5 दिन में रिपोर्ट देगी। इस मामले में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने भी नगर निगम और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
बार-बार सड़क धंसने की बड़ी वजहें
- बारिश के लिए पर्याप्त ड्रेनेज सिस्टम की कमी
- निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग
- समय से पहले और जल्दीबाजी में उद्घाटन
- निगरानी और गुणवत्ता जांच की कमी
ग्वालियर की VIP सड़क का इस तरह से बार-बार धंसना केवल तकनीकी लापरवाही नहीं, बल्कि जनता के पैसे की बर्बादी और सुरक्षा से खिलवाड़ है। यह घटना बताती है कि किसी भी प्रोजेक्ट में पारदर्शिता और गुणवत्ता नियंत्रण कितना जरूरी है। अब सबकी निगाहें जांच कमेटी की रिपोर्ट और प्रशासन की कार्रवाई पर हैं।