GBS सिंड्रोम: पुणे में फैल रही बीमारी, जानें लक्षण और बचाव

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गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS): कारण, लक्षण, उपचार और रिकवरी

गिलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome या GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर तंत्रिका तंत्र की बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम खुद की नसों पर हमला करने लगता है। यह स्थिति मुख्य रूप से शरीर के बाहरी तंत्रिका तंत्र (peripheral nervous system) को प्रभावित करती है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बाहर की नसों को नियंत्रित करता है। GBS अक्सर एक वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद उत्पन्न होता है, हालांकि इसके कारण का स्पष्ट रूप से पता नहीं चलता। यह बीमारी आमतौर पर तीव्र रूप से विकसित होती है, लेकिन उचित उपचार से अधिकांश मरीजों में पूरी या आंशिक रिकवरी संभव है।

गिलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण

GBS के लक्षण तीव्र और अचानक उत्पन्न हो सकते हैं, और ये शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करते हैं। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  1. पैरों और हाथों में झनझनाहट और कमजोरी: GBS के शुरुआती लक्षण अक्सर शरीर के निचले हिस्से, जैसे पैरों में झनझनाहट, कमजोरी या सुन्नपन के रूप में होते हैं। यह महसूस होने लगता है कि शरीर में ताकत नहीं है।
  2. सांस लेने में कठिनाई: यदि तंत्रिका तंत्र में ज्यादा गंभीर प्रभाव पड़ता है, तो सांस लेने वाली मांसपेशियों को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
  3. पल्स और रक्तचाप में उतार-चढ़ाव: GBS के कारण शरीर की स्वचालित (autonomic) कार्यप्रणाली पर असर पड़ सकता है, जिससे दिल की धड़कन, रक्तचाप, और पाचन क्रिया में असंतुलन हो सकता है।
  4. मांसपेशियों में कमजोरी और पक्षाघात: यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर के ऊपरी हिस्से में भी फैलने लगती है। समय के साथ, मांसपेशियों की कमजोरी इतनी बढ़ सकती है कि कुछ लोगों को पक्षाघात का सामना भी करना पड़ सकता है।
  5. गले और निगलने में समस्या: कुछ मामलों में, GBS के कारण गले की मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंच सकता है, जिससे निगलने और बोलने में कठिनाई हो सकती है।
  6. शारीरिक दर्द और ऐंठन: गिलियन-बैरे सिंड्रोम के मरीजों में अक्सर तेज दर्द और ऐंठन भी महसूस होती है, जो मांसपेशियों और नसों में होता है।
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GBS के कारण

GBS का मुख्य कारण एक वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है, जो इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करता है और वह शरीर की नसों पर हमला करने लगता है। इसके अलावा, कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे:

  • वायरल संक्रमण: जैसे कि सर्दी, फ्लू, या COVID-19।
  • बैक्टीरियल संक्रमण: जैसे कि Campylobacter jejuni (जो आंतों में संक्रमण उत्पन्न करता है)।
  • टीकाकरण: कुछ मामलों में, टीकाकरण भी GBS के लक्षणों को उत्पन्न कर सकता है, हालांकि यह बहुत दुर्लभ है।
  • सर्जरी और अन्य गंभीर बीमारियाँ: कुछ मामलों में, सर्जरी या कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ भी GBS के विकास का कारण बन सकती हैं।

गिलियन-बैरे सिंड्रोम का निदान

GBS का निदान चिकित्सकीय परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है। इसमें शामिल हो सकते हैं:

  1. नर्व कंडक्शन स्टडी (NCS): यह परीक्षण नसों की गतिविधि और गति को मापता है, जिससे यह पता चलता है कि नसों में कितनी तेजी से सिग्नल्स पहुंचते हैं।
  2. लम्बर पंक्चर: इस प्रक्रिया में रीढ़ की हड्डी से द्रव निकालकर यह जांचा जाता है कि द्रव में कोई असामान्यताएं हैं या नहीं।
  3. ब्लड टेस्ट: शरीर में संक्रमण या सूजन के संकेतों का पता लगाने के लिए खून की जांच की जाती है।

गिलियन-बैरे सिंड्रोम का उपचार

GBS का उपचार समय रहते किया जाए तो मरीज की रिकवरी में काफी मदद मिल सकती है। इसके उपचार में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  1. प्लास्माफेरेसिस (Plasmapheresis): यह एक प्रक्रिया है, जिसमें रक्त से विषाक्त तत्वों को बाहर निकाला जाता है, जिससे इम्यून सिस्टम के गलत प्रतिक्रिया को रोका जा सकता है।
  2. इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन (IVIG): इसमें मरीज को इम्यून ग्लोबुलिन दिया जाता है, जो शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  3. भौतिक चिकित्सा (Physical Therapy): उपचार के बाद मांसपेशियों की ताकत को बहाल करने के लिए फिजिकल थेरेपी की जाती है। यह मरीज की गतिशीलता और ताकत को सुधारने में मदद करता है।

रिकवरी और लंबे समय तक प्रभाव

गिलियन-बैरे सिंड्रोम के अधिकांश मरीज समय के साथ ठीक हो जाते हैं, हालांकि यह एक धीमी प्रक्रिया हो सकती है। कुछ मरीजों को पूरी तरह से रिकवरी होती है, जबकि अन्य को हल्के दीर्घकालिक प्रभाव महसूस हो सकते हैं, जैसे कि मांसपेशियों में हल्की कमजोरी, झनझनाहट या थकान। गिलियन-बैरे सिंड्रोम से प्रभावित कुछ लोग कई महीनों तक अस्पताल में रहते हैं और कई महीनों तक फिजिकल थैरेपी की आवश्यकता होती है। गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक गंभीर लेकिन उपचार योग्य बीमारी है। अगर इस बीमारी के लक्षण जल्दी पहचाने जाएं और उपचार शुरू किया जाए, तो रिकवरी की संभावना बहुत अधिक होती है। हालांकि, इस सिंड्रोम के कारण पूरी दुनिया में कई लोग प्रभावित होते हैं, लेकिन इसके प्रति जागरूकता और त्वरित उपचार से बहुत सारे मरीज स्वस्थ हो जाते हैं। यदि आप या आपका कोई करीबी इस तरह के लक्षण महसूस करता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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