भोपाल की ऐतिहासिक धरोहरों में भोपाल के दिल में स्थित गोलघर एक अद्भुत उदाहरण है, जिसे नवाब शाहजहां बेगम ने 156 साल पहले बनवाया था। यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि कला, संस्कृति और रहस्य से भरा एक जीवंत इतिहास है। इस गोलाकार इमारत में गुप्त दान, पक्षियों के संरक्षण और नवाबी कार्यों का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
🏛️ गोलघर का निर्माण: शाहजहां बेगम की दूरदर्शिता
भोपाल के दिल में स्थित गोलघर का निर्माण 19वीं शताब्दी में नवाब शाहजहां बेगम ने करवाया था। इसे खास तौर पर प्रशासनिक बैठकों के लिए बनाया गया था, लेकिन बेगम ने इसे मानवता और प्रकृति दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बना दिया।
उन दिनों यहां “गुप्त दान” की परंपरा थी, जिसमें जरूरतमंद व्यक्ति को बिना देखे सहायता दी जाती थी। दानदाता और लाभार्थी एक-दूसरे को नहीं देख पाते थे, जिससे निजता और सम्मान बना रहता था।
🕊️ बया चिड़िया और गोलघर की अद्भुत कहानी
इस गोलघर की एक और खासियत थी बया नामक पक्षी, जो सोने और चांदी के तारों से सुंदर घोंसले बनाती थी। शाहजहां बेगम ने इन पक्षियों के लिए खास इंतज़ाम किए थे—रेशम के धागे, सोने व चांदी की तारें बिछवाई गई थीं ताकि बया चिड़िया यहां घोंसले बना सके।
कहा जाता है कि एक ऐसा सोने और चांदी का घोंसला इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया को उपहार स्वरूप भेजा गया था। आज भी इंग्लैंड के एक संग्रहालय में इसे देखा जा सकता है।
🧱 गोलघर की वास्तुकला: हर कदम पर दरवाज़ा
गोलघर की संरचना भी बेहद दिलचस्प है। इसमें कुल 32 बाहरी दरवाजे हैं, जबकि अंदरूनी भाग में चार, केंद्र में चार, और ऊपरी सतह पर चार दरवाजे बनाए गए हैं। इसके गुंबद के भीतर मीनाकारी और नक्काशी का बेहतरीन काम किया गया है, जो इसकी शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है।
📜 गोलघर में झलकता है भोपाल का इतिहास
वर्तमान समय में यह धरोहर भोपाल की सांस्कृतिक विरासत का केंद्र बन चुका है। यहां नवाबी दौर से लेकर अंग्रेजों की हुकूमत और भोपाल रियासत के विलय तक की झलक मिलती है।
प्राचीन वस्तुएं जैसे – पानदान, पीकदान, भोपाली बटुआ, सुराहीदार लोटा, ट्रे, टिफिन और बाट – यहां आज भी संरक्षित हैं।
🎉 पुनर्निर्माण और नई पहचान
सरकार ने बीते साल इस ऐतिहासिक धरोहर का जीर्णोद्धार कर इसे फिर से जीवंत बना दिया है। 15 मार्च 2024 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसका उद्घाटन किया। अब यह एक बहुउद्देशीय कला केंद्र के रूप में विकसित किया गया है, जहां संगीत, शिल्पकला और स्थानीय व्यंजन का संगम देखने को मिलता है।
🐎 अस्तबल से एक्सपो हॉल तक: नई पहल
गोलघर के पास स्थित नवाबी दौर के अस्तबल का भी पुनर्निर्माण हो रहा है। यहां गौहर महल की तर्ज पर दुकानें और प्रदर्शनी हॉल बनाए जा रहे हैं, जिनका उपयोग विभिन्न सांस्कृतिक और व्यापारिक आयोजनों के लिए किया जाएगा।
📌 निष्कर्ष: भोपाल के दिल में स्थित गोलघर एक अनमोल सांस्कृतिक धरोहर
भोपाल के दिल में स्थित गोलघर केवल एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक, सामाजिक और प्राकृतिक विरासत का जीवंत प्रतीक है। शाहजहां बेगम की सोच और योगदान ने इसे एक ऐसे स्थल में बदल दिया, जहां इतिहास, कला और मानवता का अद्भुत संगम है।
जो भी भोपाल घूमने आए, वह इस स्थल को जरूर देखें और इसके भीतर छिपी कहानियों को महसूस करें।
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