पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरूवार को निधन हो गया। उन्होंने 92 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। दरअसल, उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती करवाया गया था। वह आपातकालीन विभाग में भर्ती थे। उनकी मौत पर राजनीतिक हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी रात करीब पौने 10 बजे उनकी हालत जानने पहुंची थी। मनमोहन सिंह के निधन की खबर के बाद कांग्रेस ने कर्नाटक के बेलगावी में होने वाली अपनी रैली रद्द कर दी है।
मनमोहन के जाने से देश में शोक
डॉ मनमोहन सिंह ने साल 2004 से 2014 के बीच 10 साल तक प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए देश की बागडोर संभाली। वे कुल 33 साल तक देश के उच्च सदन के सदस्य रहे और इस साल अप्रैल में राज्यसभा से सेवानिवृत हुए थे। वे 1998 से 2004 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। सिंह ने जून 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली थी और इसके चार महीने बाद उन्होंने पहली बार राज्यसभा में प्रवेश किया था। तब से वे लगातार इस सदन का हिस्सा बने रहे। इस दौरान उन्होंने उच्च सदन में पांच कार्यकालों तक असम का प्रतिनिधित्व किया और इसके बाद साल 2019 में राजस्थान चले गए।
अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने सिर्फ एक बार साल 1999 में दक्षिणी दिल्ली सीट से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त के एक गांव में 26 सितम्बर 1932 को हुआ था। डॉ. सिंह ने वर्ष 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मेट्रिक की शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के फिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल किया।
डॉ. सिंह को मिले प्रमुख सम्मान
भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (1987), भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995), वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड, (1993 और 1994), वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (1956) का एडम स्मिथ पुरस्कार, कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955)I