BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली/लंदन, नाइजीरिया की राजनीति के एक सशक्त और प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता, मुहम्मदु बुहारी का 82 वर्ष की आयु में लंदन में निधन हो गया। वे लंबे समय से इलाजरत थे। इस दुखद समाचार के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोक की लहर है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गहरी संवेदना जताते हुए उन्हें भारत-नाइजीरिया संबंधों का मजबूत स्तंभ बताया।
पीएम मोदी का शोक संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा,
“नाइजीरिया के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मदु बुहारी के निधन से अत्यंत दुखी हूं। हमारी कई मुलाकातें और संवाद मुझे आज भी याद हैं। भारत-नाइजीरिया की मैत्री के प्रति उनकी समझदारी, आत्मीयता और मजबूत प्रतिबद्धता हमेशा याद रहेगी। भारत की ओर से मैं उनके परिवार, नाइजीरिया की जनता और सरकार के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं।”
कौन थे मुहम्मदु बुहारी?
मुहम्मदु बुहारी न केवल नाइजीरिया के 15वें राष्ट्रपति थे, बल्कि एक समय वे देश के सैन्य प्रमुख के रूप में भी कार्यरत रहे।
- उनका जन्म 17 दिसंबर 1942 को कटसीना राज्य के डौरा शहर में हुआ था।
- बचपन में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया था और उनका पालन-पोषण उनकी मां जुलेहैहा बुहारी ने किया।
सेना से राष्ट्रपति भवन तक का सफर
बुहारी ने 1966 से 1985 तक नाइजीरियाई सेना में सेवा की और कई प्रमुख सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया।
- वर्ष 1975 में वे जनरल मुताला मुहम्मद के अधीन पेट्रोलियम मंत्री बने।
- 1983 में एक सैन्य तख्तापलट के ज़रिए उन्होंने सत्ता संभाली और 1983 से 1985 तक देश के सैन्य शासक के रूप में शासन किया।
- उनका शासनकाल कठोर अनुशासन, मीडिया नियंत्रण और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदमों के लिए जाना गया।
लोकतंत्र की ओर रुख और दो बार राष्ट्रपति बने
बुहारी ने बाद में सैन्य जीवन को पीछे छोड़ते हुए लोकतांत्रिक राजनीति का मार्ग अपनाया।
- उन्होंने 2003, 2007 और 2011 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा।
- अंततः 2015 में ऑल प्रोग्रेसिव्स कांग्रेस (APC) पार्टी के प्रत्याशी के रूप में उन्होंने जीत हासिल की और नाइजीरिया के राष्ट्रपति बने।
- 2019 में उन्हें दोबारा चुना गया और वे लगातार दो कार्यकाल तक नाइजीरिया के सर्वोच्च पद पर रहे।
भारत-नाइजीरिया रिश्तों में अहम भूमिका
मुहम्मदु बुहारी का कार्यकाल भारत-नाइजीरिया संबंधों के लिहाज से भी अहम रहा। उन्होंने व्यापार, ऊर्जा, शिक्षा और रणनीतिक सहयोग के कई क्षेत्रों में भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रोत्साहित किया। कई वैश्विक मंचों पर उन्होंने भारत के दृष्टिकोण का समर्थन किया और दोनों देशों के बीच साझेदारी को नया आयाम दिया।





