गांधीनगर, कच्छ जिले के पूर्व जिलाधिकारी और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रदीप कुमार शर्मा को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद पांच साल की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही ₹10,000 का आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया है। इस मामले में कुल चार लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें नटुभाई मोतीभाई देसाई, नरेश पोपटलाल पटेल और अतिसिंह महिपतसिंह झाला भी शामिल हैं।
क्या था पूरा मामला?
यह केस श्री सोल पाइप्स लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा किए गए एक सरकारी जमीन के आवंटन से जुड़ा हुआ है। कंपनी ने तालुका जेतपुर के मोसमाघोघा गांव में उद्योग स्थापना के लिए सरकारी ज़मीन की मांग की थी। सरकार ने अपने आदेश दिनांक 6 जून 2003 और 27 नवंबर 2000 के तहत अधिकतम 15 लाख रुपए मूल्य तक की ज़मीन आवंटित करने की अनुमति दी थी।
लेकिन तत्कालीन कलेक्टर प्रदीप शर्मा ने इस आदेश की अनदेखी करते हुए, सिर्फ़ एक ही दिन और एक ही उपयोग के लिए 47,173 वर्ग मीटर जमीन आवंटित कर दी, जो निर्धारित सीमा से 27,173 वर्ग मीटर अधिक थी।
गांधीनगर सचिवालय द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि किसी एक गांव में एक ही उद्देश्य से अलग-अलग सर्वे नंबरों पर जमीन मांगी जाती है, तो उन्हें समेकित कर एक बार में निर्णय लेना अनिवार्य है। लेकिन इस मामले में नियमों का उल्लंघन कर, जानबूझकर ज़रूरत से ज़्यादा जमीन का आवंटन कर दिया गया।
सरकारी नियमों की अनदेखी और साज़िश की आशंका
इस ज़मीन आवंटन से सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचा जबकि संबंधित निजी कंपनी को अनुचित लाभ मिला। जांच एजेंसियों के अनुसार, यह सब एक पूर्व नियोजित साज़िश के तहत किया गया और जिला भूमि मूल्यांकन समिति की बैठक में इसे अंजाम दिया गया।
इस मामले की जांच सीआईडी क्राइम शाखा (राजकोट ज़ोन) द्वारा की गई थी, जिसमें IPC की धारा 120(B) – आपराधिक साज़िश, 409 – आपराधिक विश्वासघात और 420 – धोखाधड़ी के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की गई थी (FIR नंबर 1/11)।
न्यायालय का फैसला
मामले में सभी तथ्यों और सबूतों के आधार पर न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए प्रदीप शर्मा को दोषी ठहराया और उन्हें 5 साल के कठोर कारावास के साथ ₹10,000 का जुर्माना देने का आदेश दिया। अन्य तीन आरोपियों को भी दोषी मानते हुए सज़ा सुनाई गई है।
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