रिपोर्ट: शिवम अवस्थी, एडिट: विजय नंदन
फतेहपुर: जिले में केला की खेती करने वाले किसानों की हालत इस समय गंभीर है। किसानों का कहना है कि उनकी फसल खेतों में पूरी तरह तैयार खड़ी है, लेकिन उचित दाम न मिलने के कारण खरीददार नहीं आ रहे हैं। फलस्वरूप, खेतों में पका हुआ केला सड़ने लगा है।
किसानों ने बताया कि इस बार बाहरी राज्यों के व्यापारी फतेहपुर नहीं पहुंचे, जिससे उनकी फसल को भारी नुकसान हो रहा है। वहीं, पंजाब में आई बाढ़ के कारण वहां की खपत प्रभावित हुई है और मांग और भी घट गई है।
किसानों का कहना है कि केला की खेती तैयार करने में लगभग डेढ़ साल का समय लगता है और खर्च लगभग 35 से 40 हजार रुपये होता है। सामान्य परिस्थितियों में एक बीघा खेत से डेढ़ लाख रुपये तक की आमदनी होती थी। लेकिन इस बार उचित मूल्य न मिलने के कारण लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है।
किसान अब जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनकी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किया जाए, ताकि वे आर्थिक नुकसान से बच सकें।

उत्तर प्रदेश में केले की खेती इन प्रमुख जिलों में होती है:
- फतेहपुर
- इलाहाबाद (प्रयागराज)
- वाराणसी
- प्रयागराज
- कौशाम्बी
- जौनपुर
- लखनऊ
- आजमगढ़
इन जिलों में जलवायु और मिट्टी की स्थिति के कारण केले की खेती ज्यादा होती है।
केले का उत्पादन:
- उत्तर प्रदेश भारत का प्रमुख केला उत्पादक राज्य है।
- औसतन राज्य में प्रति वर्ष लगभग 80 लाख से 1 करोड़ टन केले का उत्पादन होता है।
- राज्य का उत्पादन देश के कुल केले उत्पादन का लगभग 25-30% हिस्सा है।
- फलों में केले का क्षेत्रफल लगभग 1.5 से 2 लाख हेक्टेयर है।