by: vijay nandan
चीन में पिछले दिनों हुए SCO समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात में ‘हाथी ड्रैगन साथ-साथ’ का नारा दिया गया था। ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ भारत और चीन के बीच एकजुटता दक्षिण एशिया की राजनीति में नई कूटनीतिक गठजोड़ के रूप में देखा गया था। इस नारे को दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने की दिशा में भी बड़ा कदम माना जा रहा था। इसका असर भी अब दिखने लगा है। भारत और चीन के बीच करीब 5 साल बाद सीधी हवाई सेवाएं दोबारा शुरू होने जा रही हैं। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों देशों ने डायरेक्ट फ्लाइट्स को बहाल करने पर सहमति बना ली है।

इसके तुरंत बाद इंडिगो एयरलाइंस ने घोषणा की कि 26 अक्टूबर से कोलकाता से चीन के ग्वांगझू के लिए रोज़ाना नॉन-स्टॉप उड़ानें शुरू होंगी। एयरलाइन ने बताया कि जल्द ही दिल्ली और ग्वांगझू को भी सीधी सेवा से जोड़ा जाएगा। इन मार्गों पर इंडिगो एयरबस A320neo विमान का उपयोग करेगी।
Press Release: Resumption of direct air services between India and China
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) October 2, 2025
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भारत-चीन के बीच हवाई सेवाएं बंद क्यों हुई थीं ?
2020 में कोविड-19 महामारी फैलने के बाद भारत-चीन हवाई सेवाएं बंद कर दी गई थीं। इसके बाद गलवान घाटी में हुए सैन्य संघर्ष ने दोनों देशों के रिश्तों को और तनावपूर्ण बना दिया था। इसके परिणामस्वरूप हवाई संपर्क बहाल नहीं हो सका। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कदम रिश्तों को धीरे-धीरे सामान्य करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। नई फ्लाइट्स फिलहाल सर्दियों की शेड्यूलिंग के तहत चलाई जाएंगी। यह भी साफ कर दिया गया है कि फ्लाइट्स का संचालन तभी संभव होगा जब दोनों देशों की एयरलाइंस तकनीकी और प्रशासनिक नियम पूरे कर लेंगी। यह निर्णय भारत-चीन के एयर सर्विस अधिकारियों की कई दौर की चर्चा के बाद लिया गया। फ्लाइट बंद होने के बाद यात्रियों को थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया या बांग्लादेश जैसे तीसरे देशों के रास्ते यात्रा करनी पड़ती थी। इससे समय और खर्च दोनों बढ़ जाते थे।
लोगों के बीच सीधा संपर्क होने से छात्र, व्यापारी, पर्यटक और परिवार अब आसानी से एक-दूसरे के देश जा सकेंगे। आर्थिक फायदा होगा, व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि तीसरे देशों के रास्ते जाने की लागत और समय दोनों बचेंगे। यह कदम तनाव कम करने और रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में सकारात्मक संकेत है।
कोरोना महामारी से पहले भारत और चीन के बीच हर महीने लगभग 539 सीधी उड़ानें चलती थीं, जिनमें 1.25 लाख से अधिक सीटें उपलब्ध रहती थीं। इन सेवाओं में एअर इंडिया, चाइना साउदर्न और चाइना ईस्टर्न जैसी एयरलाइंस शामिल थीं। पिछले साल कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद रिश्ते सुधारने की कोशिशें तेज हुईं। इसके बाद डेमचोक और देपसांग जैसे विवादित इलाकों से सेनाओं की वापसी, कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारी और अब सीधी उड़ानें शुरू करने का रास्ता खुला है।