बैलाडीला एन एम डी सी लोह अयस्क की खदानो में काम कर रहे नियमित मजदूरों का वेतन समझौता 1 जनवरी 2022से लंबित है। जिसको लेकर मजदूर संगठनों में काफ़ी आक्रोश हैं। तीन साल बीत जाने के बाबजूद भी पे रिवाइस नहीं किया गया। जिसके चलते एन एम डी सी के सभी प्रोजेक्ट के मजदूरों द्वारा सीधी कार्यवाही करते हुए भारत में जितने भी एन एम डी सी की शाखाए हैं सभी जगह परियोजना प्रबंधन का घेराव कर हड़ताल नोटिस दिया गया। 14 दिनों का हड़ताल नोटिस देते हुए कर्मचारियों ने वेतन समझौता को लेकर आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया हैं कर्मचारियों का कहना हैं कि 1968 में जहाँ 4 मिलियन टन का उत्पाद किया जाता था आज 2025 में 45 मिलियन टन का उत्पादन का नया कीर्तिमान स्थापित करके देश में अग्रिण स्थिति मजदूरों द्वारा बनाकर एन एम डी सी और देश का नाम गौरन्वित किया इसके साथ ही केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के निर्देशानुसार एन एम डी सी सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 2030 तक 100 मिलियन टन के अपने महत्त्वकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने कि दिशा में लगातार अग्रसर हैं।उसके बाद भी मजदूरों के वेतन समझौता को लेकर जहां एन एम डी सी बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की टीम ने विगत तीन वर्षो में आठ बैठके कर वेतन समझौता को लेकर ट्रेड यूनियनों के साथ आम सहमति बनाई। केंद्रीय इस्पात मंत्रालय ने मजदूरों के वेतन समझौता की फाइल को अनावश्यक रोक रखा है जिसके चलते अब मजदूरो के सब्र का बांध टूट चूका हैं और मजदूर सीधी कार्यवाही करते हुए सड़क की लड़ाई में उतरने को तैयार हैं। ज्ञापन देते हुए मजदूरों ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारे बाजी की मजदूरों ने चार सूत्रीय मांगों को लेकर एन एम डी सी किरंदुल मुख्य महा प्रबंधक संजीव साही को ज्ञापन सौंपा।
आपको बता दें कि अगर मजदूर संगठन हड़ताल पर चले जाते हैं और लोह अयस्क उत्पादन ठप हो जाता हैं तो एन एम डी सी को अरबों रूपये का नुकसान उठाना पड़ सकता हैं क्योंकि एन एम डी सी का ये पिक समय चल रहा हैं मार्च तक टारगेट पूरा करना हैं एक एक दिन का समय एन एम डी सी व इस्पात मंत्रालय का समय बहुत कीमती हैं।इस वर्ष देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व इस्पात मंत्रालय का 50 मिलियन टन उत्पादन करने के लक्ष्य का सपना इस हड़ताल से चूर चूर न हो जाए
जल्द इस्पात मंत्रालय को इस दिशा में आगे बढ़कर मजदूरो के वेतन समझौते को स्वीकृती देने की जरूरत हैं।