BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली, तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को लेकर भारत की राजनीति में एक नई हलचल देखी जा रही है। देश के विभिन्न दलों से जुड़े सांसदों ने अब आधिकारिक रूप से केंद्र सरकार से मांग की है कि दलाई लामा को भारत रत्न, देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, से नवाजा जाए। इस मांग ने केवल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी चर्चाओं को तेज कर दिया है — खासतौर पर ऐसे वक्त में जब चीन के साथ भारत के रिश्तों में संवेदनशीलता बनी हुई है।
सर्वदलीय सांसद मंच की पहल, सरकार को भेजा गया ज्ञापन
यह मांग तिब्बत को लेकर गठित सर्वदलीय भारतीय संसदीय मंच की ओर से की गई है, जिसमें बीजेपी, बीजेडी और जेडीयू जैसे दलों के सांसद शामिल हैं। मंच ने हाल ही में अपनी दूसरी बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया कि दलाई लामा को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।
सिर्फ इतना ही नहीं, मंच की ओर से केंद्र सरकार को एक पत्र भी भेजा गया है जिसमें यह आग्रह किया गया है कि दलाई लामा को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने की अनुमति दी जाए। यह मांग स्पष्ट रूप से चीन की नाराजगी को आमंत्रित कर सकती है, लेकिन भारतीय सांसदों ने इसे “सच्चाई और आध्यात्मिकता के पक्ष में खड़े होने का साहसिक कदम” बताया है।
80 सांसदों के हस्ताक्षर, अभियान जारी
भारत रत्न के नामांकन को समर्थन देने के लिए मंच ने एक हस्ताक्षर अभियान भी शुरू किया है। अब तक देश के विभिन्न हिस्सों से करीब 80 सांसद इस अभियान में हस्ताक्षर कर चुके हैं। लक्ष्य है कि 100 सांसदों के समर्थन के साथ यह ज्ञापन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को सौंपा जाए।
राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार का बयान
राज्यसभा सदस्य सुजीत कुमार ने इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा:
“हमारा समूह दलाई लामा के योगदान को केवल तिब्बती समाज तक सीमित नहीं मानता। उन्होंने वैश्विक स्तर पर शांति, करुणा और अहिंसा के मूल्यों को आगे बढ़ाया है। यही कारण है कि उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए।”
उन्होंने यह भी पुष्टि की कि इस अभियान में कई विपक्षी दलों के सांसद भी शामिल हैं और जल्द ही लोकसभा एवं राज्यसभा के अध्यक्षों को पत्र भेजकर दलाई लामा को संसद में संबोधन का अवसर देने की मांग की जाएगी।
हाल ही में मनाया 90वां जन्मदिवस
गौरतलब है कि दलाई लामा ने हाल ही में अपना 90वां जन्मदिन पूरे उल्लास के साथ मनाया। यह समारोह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित त्सुगलागखांग मंदिर परिसर में आयोजित हुआ था, जहाँ हजारों अनुयायियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस समारोह में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू, सांसद राजीव रंजन सिंह, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, सिक्किम सरकार के मंत्री सोनम लामा और हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेरे जैसे हस्तियों ने भी भाग लिया और उनके प्रति सम्मान प्रकट किया।
निर्वासन में रहते हुए भी संघर्ष जारी
दलाई लामा वर्ष 1960 से भारत में निर्वासन में रह रहे हैं। तिब्बत पर चीनी कब्जे के बाद, उन्होंने भारत में शरण ली और तभी से तिब्बती समुदाय के अधिकारों और संस्कृति के लिए सतत संघर्ष कर रहे हैं। उनका जीवन केवल एक धार्मिक नेता का नहीं, बल्कि शांति और लोकतंत्र के लिए प्रतीक बन चुका है।
कुछ दिन पहले उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके भविष्य के पुनर्जन्म की मान्यता केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट के अधिकार क्षेत्र में होगी। यह घोषणा तिब्बती संस्था की भविष्य की दिशा को लेकर उठ रहे सवालों पर पूर्णविराम जैसा माना जा रहा है।
कूटनीतिक नजरिया: क्या चीन भड़केगा?
दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग निश्चित ही चीन को असहज कर सकती है। चीन पहले भी दलाई लामा को ‘विघटनकारी नेता’ करार दे चुका है। यदि भारत सरकार यह सम्मान प्रदान करती है, तो यह फैसला दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव का कारण बन सकता है।
दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग अब केवल एक आध्यात्मिक या सांकेतिक पहल नहीं रही, यह एक राजनीतिक और कूटनीतिक कदम बन चुकी है। भारत के सांसदों का यह प्रयास इस बात का संकेत है कि देश में विचार और मानवीय मूल्यों की उच्चतम पहचान को अब आधिकारिक रूप देना आवश्यक समझा जा रहा है — चाहे चीन को मिर्ची क्यों न लगे।