क्या पहलगाम आतंकी हमले के पीछे देशद्रोह की साज़िश थी? क्या CRPF जवान पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था? इन सवालों के जवाब तलाशने में जुटी है NIA और खुफिया एजेंसियां। हाल ही में गिरफ्तार किए गए ASI मोतीराम जाट के तबादले और सोशल मीडिया गतिविधियों ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है।
कौन है मोतीराम जाट और क्यों हुई गिरफ्तारी?
सीआरपीएफ के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) मोतीराम जाट को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तारी से पहले वह जम्मू-कश्मीर के उच्च सुरक्षा वाले पहलगाम क्षेत्र में CRPF की 116वीं बटालियन में तैनात थे।
- जाट का तबादला पहलगाम से सिर्फ 6 दिन पहले किया गया था जब वहाँ आतंकवादी हमला हुआ जिसमें 26 हिंदू श्रद्धालु मारे गए।
- NIA के अनुसार, जाट साल 2023 से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों को सैन्य जानकारी भेज रहा था।
किन गोपनीय जानकारियों का हुआ लीक?
एनआईए के शुरुआती जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं:
- भारतीय सेना की तैनाती की जानकारी
- ऑपरेशन मूवमेंट, यानी कहां और कब सेना जा रही है
- सुरक्षित सैन्य ठिकानों का स्थान
- सुरक्षा बलों की अंदरूनी रणनीति
ये जानकारियाँ दुश्मन देश को देना सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
CRPF ने खुद मानी जवान की सोशल मीडिया गड़बड़ी
CRPF ने आधिकारिक बयान में बताया कि:
- जाट ने सोशल मीडिया के माध्यम से सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया।
- उसकी गतिविधियों को सेना और खुफिया एजेंसियों ने मिलकर नजर में लिया और जांच के बाद उसे 21 मई 2025 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
कोर्ट में पेशी और NIA कस्टडी
गिरफ्तारी के बाद जाट को दिल्ली की एक विशेष अदालत में पेश किया गया।
अदालत ने उसे 6 जून तक NIA की कस्टडी में भेज दिया है ताकि:
- उसकी पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क से लिंक की गहराई से जांच की जा सके।
- यह पता चल सके कि क्या वह सीधे पहलगाम हमले में शामिल था या केवल जानकारी देने तक सीमित था।
नॉर्थ इंडिया में बड़ा जासूसी नेटवर्क – अब तक 13 गिरफ्तार
पिछले दो हफ्तों में, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से 13 संदिग्ध गिरफ्तार किए गए हैं।
इनमें से कुछ हैं:
- ज्योति मल्होत्रा (हरियाणा): यूट्यूब पर 3.77 लाख और इंस्टाग्राम पर 1.33 लाख फॉलोअर्स।
- गुजाला (पंजाब): 31 वर्षीय महिला जो पाकिस्तान के अधिकारी से जुड़ी थी।
दोनों महिलाओं का संबंध पाकिस्तानी अधिकारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश से बताया जा रहा है।
दानिश भारत में पाकिस्तानी उच्चायोग में काम करता था और उसे 13 मई को भारत से निष्कासित कर दिया गया।
क्या पहलगाम हमला एक ‘इनसाइड जॉब’ था?
- जाट का तबादला और हमला एक ही समय के आसपास हुआ।
- उसके पास से जो डाटा मिला है, वह हमले से पहले लीक हो सकता है।
- सोशल मीडिया गतिविधियों, कॉल रिकॉर्ड्स और चैट्स की फॉरेंसिक जांच जारी है।
यह मामला बताता है कि देश के भीतर से दुश्मन को जानकारी मिलना कितना खतरनाक हो सकता है।
निष्कर्ष: क्या हमें सुरक्षा बलों की स्क्रीनिंग प्रक्रिया दोबारा जांचनी चाहिए?
CRPF जवान की इस गिरफ्तारी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या सुरक्षा बलों की भर्ती और ट्रांसफर प्रणाली में गंभीर खामियां हैं?
- क्या जासूसी नेटवर्क पहले से ज्यादा डिजिटल और प्रभावी हो गया है?
- क्या आने वाले समय में हमें सोशल मीडिया के सख्त नियमों की जरूरत है?
सरकार और खुफिया एजेंसियों को इस केस को सिर्फ एक गिरफ्तारी तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि पूरे नेटवर्क की तह तक जाना चाहिए।