BY: Sanjeev Kumar
बोकारो , देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इस्पात मंत्रालय की ओर से बोकारो स्टील प्लांट के विस्तार के लिए अप्रैल माह से 20,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई गई थी। विस्तार के बाद इस स्टील प्लांट की उत्पादन क्षमता 7.5 मिलियन टन तक पहुंचाई जानी थी। लेकिन अब यह महत्वाकांक्षी योजना अनिश्चितता के भंवर में फंसती नजर आ रही है।
विस्तार रुका तो व्यापारी, समाजसेवी और ट्रेड यूनियन में चिंता
विस्तार योजना के अटकने से बोकारो के व्यापारी वर्ग, समाजसेवी संगठन, और ट्रेड यूनियन नेता गहरी चिंता में हैं। उनका कहना है कि यदि यह योजना शुरू नहीं होती, तो इसका सीधा असर बोकारो की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
हस्ताक्षर और पोस्टकार्ड अभियान शुरू करने की तैयारी
इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए बोकारो में एक व्यापक जन-अभियान शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इसके अंतर्गत:
- 2 लाख नागरिकों के हस्ताक्षर लिए जाएंगे।
- 10 हजार पोस्टकार्ड सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे जाएंगे।
इन पोस्टकार्ड में दो मुख्य मांगें होंगी:
- बोकारो स्टील प्लांट के विस्तार कार्य को शीघ्र शुरू किया जाए।
- बोकारो जनरल अस्पताल को सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का दर्जा दिया जाए।
बैठक में हुआ फैसला, आंदोलन से विकास पर असर पड़ा
इस बाबत सोमवार को बोकारो परिषद में एक बैठक आयोजित की गई, जहां ये सभी निर्णय लिए गए। जानकारी के अनुसार, इस्पात मंत्रालय ने विस्तार के लिए 20,000 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, लेकिन बीते दिनों प्लांट में हुए आंदोलन और प्रोडक्शन ठप हो जाने के चलते यह राशि अन्य स्टील प्लांट्स की ओर ट्रांसफर कर दी गई।
चेंबर अध्यक्ष और नेताओं की प्रतिक्रिया
बोकारो चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष मनोज चौधरी ने कहा,
“बोकारो स्टील प्लांट इस जिले की रीढ़ है। एक आंदोलन के कारण यदि प्लांट के विस्तार पर रोक लगी है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”
उन्होंने केंद्र सरकार से इस फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की।
वहीं, भाजपा नेता कुमार अमित ने कहा कि,
“बोकारो केवल एक शहर नहीं बल्कि झारखंड की आर्थिक प्रगति का आधार है। बोकारो स्टील प्लांट के विकास के बिना राज्य का विकास अधूरा है। हम हस्ताक्षर और पोस्टकार्ड अभियान के माध्यम से केंद्र सरकार तक यह आवाज पहुंचाएंगे।”