दुनिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस कंपनियों में से एक, बोइंग के करीब 3,200 कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। ये कर्मचारी फाइटर जेट और अन्य डिफेंस सिस्टम के उत्पादन और मेंटेनेंस से जुड़े हैं। हड़ताल शुरू होते ही कई फैक्ट्रियों में कामकाज रुक गया है, जिससे कंपनी के बड़े ऑर्डर प्रभावित हो सकते हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अहम विमान और सिस्टम तैयार करते हैं और ऐसे कॉन्ट्रैक्ट के हकदार हैं जो उनके परिवारों की आर्थिक सुरक्षा और विशेषज्ञता का सम्मान सुनिश्चित करे।
कब और क्यों शुरू हुई हड़ताल?
- हड़ताल की शुरुआत सोमवार, 4 अगस्त 2025 (सेंट्रल डे-लाइट टाइम) से हुई।
- विवाद की वजह नया लेबर कॉन्ट्रैक्ट है जिस पर सहमति नहीं बन पाई।
- कर्मचारियों का मानना है कि कंपनी के ऑफर उनकी जरूरतों को पूरा नहीं करते।
बोइंग के ऑफर और कर्मचारियों का रुख
बोइंग ने दो चरणों में कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का प्रस्ताव दिया था:
- पहला प्रस्ताव
- चार साल में 20% वेतन वृद्धि
- मेडिकल, पेंशन और ओवरटाइम बेनिफिट्स में सुधार
- कर्मचारियों ने इसे अपर्याप्त मानकर ठुकरा दिया।
- दूसरा प्रस्ताव (कूलिंग-ऑफ पीरियड के बाद)
- औसतन 40% वेतन वृद्धि
- ऑप्शनल वर्क शेड्यूल
- इसके बावजूद यूनियन ने ऑफर खारिज कर दिया।
बोइंग एयर डोमिनेंस के वाइस प्रेसिडेंट डैन गिलियन ने कहा कि कंपनी निराश है, लेकिन उसने हड़ताल की स्थिति से निपटने के लिए आकस्मिक योजना लागू कर दी है ताकि ग्राहकों को सपोर्ट जारी रहे।
हड़ताल के संभावित परिणाम
- कंपनी के पास 7,000 फाइटर जेट के ऑर्डर हैं जिन्हें दो साल में डिलीवर करना है।
- लंबी हड़ताल से प्रोडक्शन और डिलीवरी में देरी हो सकती है।
- इससे बोइंग की वित्तीय स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है।
इतिहास बताता है कि बोइंग पहले भी लंबी हड़तालों का सामना कर चुकी है:
- 2024 में सिएटल: 33,000 कर्मचारियों की 7 हफ्ते की हड़ताल, जिसके बाद 38% वेतन वृद्धि वाला समझौता हुआ।
- 1996 में सेंट लुइस: 99 दिन की हड़ताल, जिसने कंपनी को भारी नुकसान पहुंचाया।
बोइंग का परिचय
1916 में स्थापित बोइंग का मुख्यालय शिकागो में है। यह कंपनी हवाई जहाज, फाइटर जेट, सैटेलाइट और मिसाइल सिस्टम बनाने में अग्रणी है। इसके कुछ लोकप्रिय उत्पाद हैं:
- बोइंग 737, 747, और 787 जैसे कॉमर्शियल विमान
- अत्याधुनिक फाइटर जेट और डिफेंस सिस्टम
- सैटेलाइट और स्पेस टेक्नोलॉजी
बोइंग की मौजूदा हड़ताल सिर्फ कंपनी के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक रक्षा आपूर्ति के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। अगर जल्द कोई समझौता नहीं हुआ, तो हजारों ऑर्डर और अरबों डॉलर का प्रोडक्शन प्रभावित हो सकता है।