बिहार में चल रही वोटर लिस्ट सत्यापन प्रक्रिया को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में एक अहम सुनवाई होनी है। इस मामले ने राजनीतिक और कानूनी दोनों ही मोर्चों पर जबरदस्त हलचल मचा दी है। विपक्षी दल जहां इस प्रक्रिया को गरीबों और हाशिए के समुदायों के खिलाफ बता रहे हैं, वहीं चुनाव आयोग इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुद्धता बनाए रखने का जरिया मान रहा है।
क्या है पूरा मामला?
बिहार में वोटर लिस्ट का फिजिकल वेरिफिकेशन किया जा रहा है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे गरीबों, महिलाओं और पिछड़े तबकों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं। कांग्रेस, आरजेडी, टीएमसी सहित INDIA गठबंधन की 9 पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस प्रक्रिया पर तत्काल रोक की मांग की है।
याचिका दायर करने वाली 9 पार्टियां:
- कांग्रेस
- राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
- तृणमूल कांग्रेस (TMC)
- मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM)
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट – NCP)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)
- समाजवादी पार्टी (SP)
- शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट)
- झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)
साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता अरशद अजमल और रुपेश कुमार ने भी इस सत्यापन प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
चुनाव आयोग का पक्ष: “सत्यापन जरूरी”
चुनाव आयोग का कहना है कि यह सत्यापन लंबे समय से लंबित था। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के अनुसार, 2003 के बाद से व्यापक स्तर पर कोई सत्यापन नहीं हुआ। आयोग की मंशा है कि केवल योग्य भारतीय नागरिक ही मतदाता सूची में शामिल रहें।
- आयोग ने तय किया है कि घर-घर जाकर सत्यापन होगा।
- गैर-नागरिकों के नाम हटाए जाएंगे।
- सत्यापन प्रक्रिया बिहार के बाद असम, बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में भी चलेगी।
- 2029 तक यूपी, गुजरात, पंजाब समेत अन्य राज्यों में भी यही प्रक्रिया होगी।
अश्विनी उपाध्याय की याचिका: अवैध घुसपैठियों को हटाने की मांग
वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक अलग याचिका दायर की है। उन्होंने मांग की है कि केवल भारतीय नागरिकों को ही वोटिंग का अधिकार मिले और आयोग इस दिशा में कड़े कदम उठाए।
उनका दावा है:
- पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से घुसपैठ की वजह से देश के 200 जिलों में जनसंख्या संतुलन बिगड़ा है।
- घुसपैठियों को हटाने के लिए मतदाता सूची का सत्यापन आवश्यक है।
विपक्ष का विरोध और धरना प्रदर्शन
बिहार में विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन किया।
पटना में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने नेतृत्व किया।
तेजस्वी यादव का बयान:
“गरीबों के नाम जानबूझकर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं। अगर नाम कट गया, तो कहा जाएगा कि आप इस देश के नागरिक नहीं हैं।”
राहुल गांधी ने आरोप लगाया:
“यह गरीबों का वोटिंग अधिकार छीनने की एक साजिश है। हम इसे रोकने के लिए हर मंच पर लड़ेंगे।”
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने पलटवार करते हुए कहा,
“अगर आप भारतीय हैं, तो सत्यापन से डर क्यों? यह तो केवल नागरिकता की पुष्टि कर रहा है।”
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई: पूरे देश के लिए अहम
आज सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
इसका असर न केवल बिहार, बल्कि देशभर की वोटर लिस्ट प्रक्रिया पर पड़ेगा।
यदि कोर्ट सत्यापन प्रक्रिया पर रोक लगाता है, तो चुनाव आयोग की योजना प्रभावित हो सकती है।
वहीं, अगर कोर्ट प्रक्रिया को वैध ठहराता है, तो इसे और सख्ती से लागू किया जाएगा।
क्या होगा वोटर लिस्ट का भविष्य?
बिहार में एक लाख से अधिक बीएलओ (Booth Level Officers) घर-घर जाकर वोटर सत्यापन कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई तय करेगी कि यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी या नहीं।
इस मुद्दे पर लोकतंत्र, नागरिक अधिकार, और निर्वाचन की निष्पक्षता—तीनों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। सभी की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।