BY: Yoganand Shrivastva
बिहार की राजनीति में जातिगत समीकरण हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सभी प्रमुख राजनीतिक दल जातियों और उप-जातियों को साधने की कोशिश में जुट गए हैं। चुनावी मौसम में राज्य की राजनीति एक बार फिर जातीय खांचे में बंटती नजर आ रही है। हर दल अपने-अपने जातिगत आधार को मजबूत करने और दूसरे दलों के वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति पर काम कर रहा है।
तेजस्वी यादव के पास क्या है?
तेजस्वी यादव के पास M+Y यानी मुस्लिम (17.4%) और यादव (14.3%) का मजबूत आधार है। कुल मिलाकर ये करीब 31.5% वोट होते हैं। अगर तेजस्वी यादव इसमें 9% अन्य वोट जोड़ने में कामयाब हो जाते हैं, तो उनका समर्थन 40% से ऊपर पहुंच सकता है, जो उन्हें सत्ता की ओर ले जाने में निर्णायक हो सकता है।
NDA के पाले में कौन-कौन?
वर्तमान में मोदी-नीतीश के नेतृत्व वाला NDA गठबंधन लगभग 42% वोट बैंक के साथ मैदान में है। इसमें सवर्णों का अहम योगदान है, जो NDA का परंपरागत और मजबूत वोट बैंक माने जाते हैं।
सवर्ण जातियां:
- ब्राह्मण: 3.65%
- राजपूत: 3.45%
- भूमिहार: 2.86%
- कायस्थ: 0.60%
अन्य OBC/SC/ST वोट:
- पासवान (दुसाध): 5.31%
- रविदास/जाटव/मोची: 5.25%
- कुशवाहा (कोइरी): 4.21%
- मुसहर: 3.08%
- कुर्मी: 2.88%
- वैश्य (बनिया): 2.32%
- कानू: 2.21%
- नोनिया: 1.91%
- कहार: 1.65%
- नाई: 1.59%
- बढ़ई: 1.45%
इन सबका योग करीब 42.42% होता है, जो NDA की चुनावी ताकत को दर्शाता है।
तेजस्वी की रणनीति: NDA में सेंध, छोटे वोट जोड़ना
तेजस्वी यादव की रणनीति दो तरफा है—एक ओर वे M+Y समीकरण को बरकरार रखते हुए छोटे-छोटे जातीय समूहों को जोड़ रहे हैं, दूसरी ओर वे NDA के मजबूत गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
चौरसिया समाज को जोड़ने की कोशिश:
बिहार में चौरसिया समाज की आबादी करीब 6.16 लाख (0.47%) है। यह समाज पिछले दो दशकों से NDA के साथ माना जाता रहा है। तेजस्वी यादव ने पटना में चौरसिया सम्मेलन को संबोधित कर उन्हें अपने पक्ष में करने की पहल की। लालू प्रसाद यादव के 90 के दशक के “पिछड़ों के नेता” वाली छवि को तेजस्वी फिर से सामने ला रहे हैं।
मल्लाह समाज की राजनीति
तेजस्वी यादव ने मल्लाह समुदाय को भी अपने साथ लाने के लिए मुकेश सहनी का समर्थन लिया है। सहनी की पार्टी VIP, मल्लाह समाज में अच्छी पकड़ रखती है।
- मल्लाह: 2.36%
- केवट: 0.72%
- कैवर्त: 0.20%
कुल वोट: 3.28%
मुकेश सहनी की यह ताकत तेजस्वी के लिए एक अतिरिक्त सहयोग बन सकती है।
जातियों का गहराई से विश्लेषण
बिहार चुनाव का गणित अब सिर्फ बड़े समुदायों तक सीमित नहीं रहा। अब आधे या एक प्रतिशत वोट वाले समाज भी महत्वपूर्ण बन गए हैं। तेजस्वी यादव इन छोटे वोटों को जोड़कर अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश में हैं। वहीं NDA अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत बनाए रखने की दिशा में काम कर रहा है।
जातीय राजनीति के इस जटिल समीकरण में किसकी रणनीति सफल होगी, यह आने वाले चुनावों में ही साफ हो पाएगा, लेकिन फिलहाल बिहार की राजनीति पूरी तरह जातिगत समीकरणों के इर्द-गिर्द घूम रही है।