मध्यप्रदेश की मोहन सरकार समावेशी समग्र विकास की धारणा पर काम करते हुए समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिये काम कर रही है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने, युवाओं को रोजगार देने, बालिकाओं को निःशुल्क उच्च शिक्षा प्रदान करने, महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के लिए लखपति दीदी योजना, लाड़ली बहना को प्रतिमाह आर्थिक सहायता,किसानों को समर्थन मूल्य की गारंटी,श्रमिकों के जीवन स्तर को सुधारने के बाद अब विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, भारिया और सहरिया के लिये प्रगति के दरवाजे खुलने जा रहे हैं।
विशेष जनजातियों के लिए अलग से बनेगा बटालियन
मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य और मोहन सरकार ऐसी पहली सरकार बनने जा रही है जो इन विशेष जनजातियों के लिए अलग से बटालियन बनाएगी जिसमे बैगा, भारिया और सहरिया के जनजातियों के युवाओं को पुलिस, सेना एवं होमगार्ड में भर्ती कराने के लिये आवश्यक प्रशिक्षण दिया जायेगा। दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह के युवाओं को रोजगार एवं सेवा से जोड़ने के लिये पीवीटीजी बटालियन बनाने के दिए निर्देश दिए हैं। प्रदेश में बैगा, भारिया एवं सहरिया जनजाति पीवीटीजी समूह में आती हैं।
कौन – कौन से क्षेत्र होंगे शामिल
शौर्य संकल्प योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजातीय समूह बैगा, भारिया और सहरिया के लिये अलग से बटालियन के निर्णय से न केवल इन जनजातियों के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।बल्कि वो देश और प्रदेश की सुरक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी देंगे। विशेष पिछड़ी जनजातीय समूह (पीवीटीजी) की विकास योजनाओं में प्रदेश के 15 जिलों को शामिल किया गया है। इन विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिये योजना बनाने एवं योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिये प्रदेश में 11 प्राधिकरण भी कार्यरत हैं। बैगा विकास प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र में 6 जिले मण्डला, शहडोल, बालाघाट, उमरिया, डिण्डौरी एवं अनूपपुर भारिया विकास प्राधिकरण में पातालकोट के कार्यक्षेत्र में छिन्दवाड़ा जिले के तामिया विकासखण्ड के पातालकोट क्षेत्र के 12 गांव आते हैं। सहरिया विकास प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र में 8 जिले श्योपुरकलां, मुरैना, भिण्ड, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, ग्वालियर एवं दतिया आते हैं।
राजनीतिक फायदा होने की संभावना
राजनीति के जानकार मानते हैं कि लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव पिछले दशकों से जनजातीय मतदाता कांग्रेस से छिटककर बीजेपी को समर्थन कर रहा है और बीजेपी की केंद्र की और राज्य सरकार इन जनजातियों को पर्याप्त राजनैतिक जिम्मेदारी भी दे रही हैं। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से लेकर प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई भी जनजातीय समुदाय से ही हैं।जाहिर है जनजातियों के उत्थान को लेकर मोहन सरकार एक तीर से दो शिकार कर रही है। पहला तो विशेष योजनाओं के माध्यम से सरकारी नौकरी जनजातीय वर्ग को विशेष प्रतिनिधित्व देना और कभी कांग्रेस के कोर वोटर रहे आदिवासी समुदाय को न्याय का भरोसा दिलाना।