स्थान: भोपाल, हमीदिया अस्पताल
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में एक दुखद घटना सामने आई है। आईसीयू-3 में भर्ती मरीज डॉली बाई की शनिवार-रविवार की मध्यरात्रि करीब 1 बजे मृत्यु हो गई। इससे नाराज परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया और 30-40 लोगों के समूह ने आईसीयू में घुसकर डॉक्टरों पर हमला कर दिया। इस घटना में तीन चिकित्सक घायल हुए, जिनमें एक जूनियर डॉक्टर के सिर में गंभीर चोट आई है। चिकित्सकों का आरोप है कि हमलावर हथियारों से लैस थे। इस घटना के बाद डॉक्टरों में आक्रोश है और उन्होंने तत्काल सुरक्षा की मांग की है।

घटना का विवरण
हमीदिया अस्पताल के आईसीयू-3 में डॉली बाई का इलाज चल रहा था। उनकी मृत्यु के बाद परिजनों ने हंगामा किया और भीड़ के साथ मिलकर ऑन-ड्यूटी डॉक्टरों पर हमला कर दिया। उस समय आईसीयू में 10 से अधिक डॉक्टर मौजूद थे। हमले के बाद दो वीडियो सामने आए हैं, जिनमें हमलावरों को डॉक्टरों पर हिंसा करते देखा जा सकता है। पुलिस ने संदिग्धों की पहचान शुरू कर दी है।
डॉक्टरों की प्रतिक्रिया और मांगें
जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) के अध्यक्ष डॉ. कुलदीप गुप्ता ने इस घटना को निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उनका कहना है कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए पहले भी प्रशासन और पुलिस को पत्र लिखे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हाल ही में एक महिला डॉक्टर की कार में तोड़फोड़ की घटना भी सामने आई थी। जूडा ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
- अस्पताल परिसर में अज्ञात व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक।
- सुरक्षा गार्ड्स की संख्या में वृद्धि।
- हाई मास्ट लाइट और कटीले तारों के साथ बाउंड्री वॉल की व्यवस्था।
- अवैध एंबुलेंस पर रोक।
डॉक्टरों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को पत्र लिखकर हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि इस घटना से अस्पताल में भय का माहौल है।
पुलिस और परिवार का पक्ष
कोह-ए-फिजा थाना प्रभारी विजेंद्र मर्सकोले के अनुसार, मृतक महिला (60 वर्षीय, उज्जैन निवासी) को ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी बीमारियों के कारण भर्ती किया गया था। उनकी मृत्यु के बाद परिजनों और अस्पताल कर्मचारियों के बीच झड़प हुई, क्योंकि परिवार पोस्टमॉर्टम नहीं करवाना चाहता था। परिजनों ने आरोप लगाया कि उनके साथ भी मारपीट की गई। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कानूनी प्रावधान
चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए कानून मौजूद हैं। स्वास्थ्य सेवा से जुड़े व्यक्तियों पर हिंसा गैर-जमानती अपराध है, जिसमें 6 महीने से 5 साल तक की सजा हो सकती है। मध्य प्रदेश चिकित्सक सुरक्षा अधिनियम, 2008 के तहत भी ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई का प्रावधान है। गांधी मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन आरपी कौशल ने कहा कि घटना की शिकायत पुलिस से की गई है।
कांग्रेस और अन्य प्रतिक्रियाएँ
एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा कि इस घटना से सुरक्षा एजेंसी की लापरवाही उजागर हुई है। उन्होंने एजेंसी को ब्लैक लिस्ट करने और कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
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