भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को बॉम्बे हाईकोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। अदालत ने बीसीसीआई को पूर्व IPL टीम कोच्ची टस्कर्स केरला को 538 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। यह मामला वर्षों पुराना है, लेकिन अब कोर्ट के इस फैसले ने बीसीसीआई के लिए नई कानूनी चुनौती खड़ी कर दी है।
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क्या है पूरा मामला?
- कोच्ची टस्कर्स केरला (Kochi Tuskers Kerala) को 2011 में आईपीएल में शामिल किया गया था।
- यह टीम Rendezvous Sports World (RSW) और बाद में Kochi Cricket Pvt Ltd (KCPL) द्वारा संचालित की जा रही थी।
- आईपीएल के एक सीजन के बाद ही BCCI ने टीम का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया।
- रद्द करने का कारण बताया गया कि टीम बैंक गारंटी देने में विफल रही।
मामला पहुंचा मध्यस्थता और कोर्ट तक
- 2012 में KCPL और RSW ने BCCI के फैसले को चुनौती देते हुए मध्यस्थता का रास्ता चुना।
- 2015 में पंचाट (arbitration panel) ने फैसला सुनाया कि BCCI को:
- KCPL को 384.8 करोड़ रुपए का मुआवजा
- और RSW को 153.3 करोड़ रुपए की राशि ब्याज व लागत सहित लौटानी होगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
- BCCI ने इस निर्णय के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
- लेकिन न्यायमूर्ति आर. चागला ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि: “मध्यस्थता के फैसले में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है जिससे अदालत को हस्तक्षेप करना पड़े।”
- हाईकोर्ट ने बीसीसीआई को आदेश दिया कि वह पूरी राशि का भुगतान करे।
क्या BCCI के पास कोई विकल्प बचा है?
- फिलहाल BCCI के पास एकमात्र विकल्प सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का है।
- अब देखना होगा कि BCCI इस आदेश को चुनौती देता है या भुगतान करने का निर्णय लेता है।
यह फैसला न सिर्फ बीसीसीआई के लिए आर्थिक रूप से बड़ा झटका है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि आईपीएल जैसी व्यावसायिक लीगों में अनुबंधों की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोच्ची टस्कर्स केरला के समर्थन में आए इस न्यायिक फैसले ने क्रिकेट प्रशासन में पारदर्शिता की मांग को और मजबूत कर दिया है।