रायपुर: लगभग 30 सालों तक नक्सलवाद की समस्या से जूझता रहा बस्तर और कोंडागांव अब गृह मंत्रालय की Left Wing Extremism (LWE) प्रभावित जिलों की रेड लिस्ट से हटा दिया गया है। यह बदलाव छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र की नक्सल विरोधी नीति की बड़ी सफलता मानी जा रही है।
बस्तर के लिए नया युग — नक्सलवाद से मुक्ति की दिशा में बड़ा कदम
बस्तर जिले ने दशकों तक नक्सलियों के कब्जे का सामना किया, लेकिन अब यहाँ की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। गृह मंत्रालय ने बस्तर और कोंडागांव को ‘districts of legacy and thrust’ के रूप में पुनः वर्गीकृत किया है। इसका मतलब है कि इन जिलों में नक्सली गतिविधियाँ अब बहुत कम हो गई हैं।
बस्तर रेंज के IG पी. सुंदरराज ने बताया,
“कोंडागांव और बस्तर अब देश के 30 ऐसे जिलों में शामिल हैं जो ‘legacy and thrust’ श्रेणी में लाए गए हैं। इसका अर्थ है कि ये अब LWE प्रभावित जिले नहीं रहे, लेकिन यहाँ विकास और सतर्कता की आवश्यकता बनी रहेगी।”
नक्सल प्रभावित जिलों की नई कैटेगरी — क्या है अंतर?
- Legacy and Thrust Districts:
इन जिलों में नक्सलवाद अब कम हो चुका है, लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ। यहाँ विकास कार्य और सुरक्षा व्यवस्था पर फोकस रहेगा। - Most Affected LWE Districts:
अभी भी नक्सलवाद से गंभीर रूप से प्रभावित जिले जैसे सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और कंकर इस सूची में शामिल हैं। - Other LWE Districts:
जैसे दंतेवाड़ा, जो नक्सली गतिविधियों के लिए जोखिम वाले जिले हैं।
नक्सलवाद के खिलाफ हाल की बड़ी सफलता
हाल ही में नारायणपुर जिले में नक्सली नेता बसवराजू और 27 अन्य नक्सलियों की मौत ने सरकार की कार्रवाई को मजबूती दी है। इस ऑपरेशन से नक्सलियों के मनोबल पर असर पड़ा है और बस्तर क्षेत्र में शांति की उम्मीद बढ़ी है।
कोंडागांव जिले में लगभग पांच वर्षों में पहली बार 16 अप्रैल को दो वरिष्ठ नक्सली कमांडरों की मौत हुई, जो यह दर्शाता है कि सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ लगातार सफल अभियान चला रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में बढ़ी वोटिंग, जनता का समर्थन साफ़ दिखा
- बस्तर: 84.6% मतदान
- कोंडागांव: 81.7% मतदान
यह आंकड़ा दिखाता है कि जनता नक्सलवाद के खिलाफ केंद्र सरकार और राज्य सरकार की नीतियों का समर्थन कर रही है और लोकतंत्र में विश्वास बढ़ रहा है।
गृह मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के छह जिले शामिल
मंत्रालय ने हाल ही में 18 जिलों को ‘LWE प्रभावित’ या ‘districts of concern’ के रूप में चिन्हित किया है, जिनमें से छह छत्तीसगढ़ के हैं। इनमें से दो जिले बस्तर और कोंडागांव अब legacy and thrust श्रेणी में आ गए हैं।
IG सुंदरराज ने कहा,
“हमारे प्रभावी नक्सल विरोधी ऑपरेशन्स के कारण बस्तर रेंज में हालात काफी बेहतर हुए हैं। अब हमारा लक्ष्य बस्तर को पूरी तरह से नक्सल मुक्त बनाना है।”
बस्तर का विकास और सुरक्षा – अब फोकस
नक्सलवाद कम होने के बाद अब बस्तर और कोंडागांव में विकास कार्यों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। बेहतर सड़कें, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और रोजगार के अवसर बढ़ाकर स्थायी शांति कायम की जाएगी। साथ ही, सुरक्षा बल सतर्क रहेंगे ताकि नक्सलियों को पुनः सक्रिय होने का मौका न मिले।
निष्कर्ष: बस्तर की नक्सल समस्या पर बड़ी जीत
लगभग तीन दशकों के लंबे संघर्ष के बाद बस्तर अब नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से बाहर हुआ है। यह बदलाव राज्य और केंद्र सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि है। आने वाले समय में सतर्कता और विकास के माध्यम से बस्तर को पूरी तरह नक्सल मुक्त बनाना एक चुनौती होगी, लेकिन यह कदम सकारात्मक बदलाव की दिशा में अहम साबित होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. बस्तर को ‘legacy and thrust’ जिले का क्या मतलब है?
इसका मतलब है कि यहाँ नक्सलवाद अब कम हो चुका है लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ, इसलिए सतर्कता और विकास जरूरी है।
2. क्या बस्तर पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो चुका है?
नहीं, लेकिन स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। सुरक्षा बल और सरकार पूरी कोशिश कर रहे हैं कि बस्तर पूरी तरह नक्सल मुक्त हो।
3. नक्सलवाद से प्रभावित अन्य जिले कौन-कौन से हैं?
सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, कंकर और दंतेवाड़ा अभी भी नक्सल प्रभावित हैं।
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