दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 30 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के मामले में फरार चल रहे अंगद पाल सिंह उर्फ अंगद सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी इंटरनेशनल स्तर की कार्रवाई के तहत की गई, जहां आरोपी को अमेरिका से डिपोर्ट कर भारत लाया गया।
पुलिस ने यह कार्रवाई आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वर्ष 2017 में दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर की। बैंक ने फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए भारी वित्तीय नुकसान का आरोप लगाया था।
कैसे हुआ था 30 करोड़ का घोटाला?
डीसीपी विक्रम पोरवाल के अनुसार, मामले की जांच में यह खुलासा हुआ कि:
- कुल 17 फर्मों के 18 खाताधारकों ने
- 467 फर्जी फॉरेन इनवर्ड रेमिटेंस सर्टिफिकेट (FIRC)
बैंक में जमा किए थे। - इन फर्जी सर्टिफिकेट्स के माध्यम से BRC (बैंक रियलाइजेशन सर्टिफिकेट) प्राप्त किए गए।
- इसके आधार पर DGFT (डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड) से एक्सपोर्ट इंसेंटिव्स और ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स (DCS) हासिल किए गए।
- बाद में इन स्क्रिप्स को बाज़ार में बेचकर 30.47 करोड़ रुपये का फ्रॉड अंजाम दिया गया।
इन फर्म्स के जरिए हुई थी धोखाधड़ी
जांच के दौरान सामने आया कि यह सारा घोटाला आरोपी और उसके परिवार द्वारा चलाई जा रही 5 फर्जी फर्म्स के माध्यम से किया गया:
- कुमार ट्रेडिंग कंपनी
- नैशनल ट्रेडर
- ट्राइडेंट ओवरसीज इंडिया
- एचएससी एक्सिम इंडिया
- एएचसी ऑटो स्पेयर्स
इन कंपनियों के डायरेक्टर्स में अंगद पाल सिंह के अलावा उसके पिता सुरिंदर सिंह और भाई हरसाहिब सिंह शामिल थे।
CBI और EOW की संयुक्त कार्रवाई
- आरोपी अंगद अमेरिका में रह रहा था और CBI द्वारा एक अन्य केस में वहां से डिपोर्ट कराया गया।
- डिपोर्टेशन के तुरंत बाद, 2 जून 2025 को EOW ने उसे अपनी हिरासत में लिया।
- आरोपी को अब न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
दिल्ली पुलिस पहले ही इस केस में तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। अंगद पर EOW में वर्ष 2017 के एक अन्य केस में भी आरोप हैं।
क्यों यह केस है महत्वपूर्ण?
यह मामला यह दिखाता है कि किस प्रकार फर्जी दस्तावेजों और फेक फर्म्स के माध्यम से बैंक और सरकारी संस्थाओं को चूना लगाया जा सकता है। इस केस से न केवल फाइनेंशियल फ्रॉड्स की गंभीरता सामने आई, बल्कि यह भी साबित हुआ कि इंटरनेशनल सहयोग से बड़े आर्थिक अपराधियों को कानून के कटघरे तक लाया जा सकता है।