BY: Yoganand Shrivastva
भारत में हवाई यात्रा अब जितनी आम और सुरक्षित मानी जाती है, उतनी हमेशा नहीं थी। 1957 से लेकर अब तक कई बड़े विमान हादसे हुए हैं, जिनमें सैकड़ों जानें गईं और हवाई सुरक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल उठे। हर हादसा सिर्फ तकनीकी विफलता नहीं था, यह उन परिवारों के लिए दर्द और बर्बादी की कहानी था जिनके अपने आसमान से लौटकर नहीं आए।
आज हम आपको 1957 से 2025 तक के उन बड़े विमान हादसों की याद दिलाते हैं जिन्होंने भारत को झकझोर कर रख दिया था।
भारत के सबसे दर्दनाक विमान हादसे
1978 – एयर इंडिया फ्लाइट 855 | मुंबई
- तारीख: 1 जनवरी 1978
- घटना: टेकऑफ़ के दो मिनट बाद ही बोइंग 747 अरब सागर में गिर गया।
- मौतें: सभी 213 यात्रियों की मौत
- कारण: पायलट की दिशा में भ्रम की आशंका।
1988 – इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 113 | अहमदाबाद
- तारीख: 19 अक्टूबर 1988
- घटना: लैंडिंग के दौरान विमान क्रैश
- मौतें: 133 यात्री मारे गए
- कारण: लो विजिबिलिटी और एटीसी से मिसकम्युनिकेशन
1990 – फ्लाइट 605 | बेंगलुरु
- तारीख: 14 फरवरी 1990
- मौतें: 92 लोगों की जान गई
- विवरण: एयरबस A320 रनवे से आगे निकल गया और क्रैश हुआ।
1996 – चरखी दादरी टक्कर | भारत की सबसे बड़ी त्रासदी
- तारीख: 12 नवंबर 1996
- घटना: दो जहाज हवा में टकरा गए (कज़ाकिस्तान एयरलाइंस और साउदी एयरलाइंस)
- मौतें: 349 लोगों की मौत
- नतीजा: TCAS (Traffic Collision Avoidance System) भारत में अनिवार्य हुआ।
2010 – मंगलौर एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812
- तारीख: 22 मई 2010
- मौतें: 158 लोग मारे गए
- घटना: रनवे ओवरशूट कर विमान खाई में गिरा
- जाँच रिपोर्ट: पायलट की थकावट और गलती।
2020 – कोझिकोड रनवे हादसा
- तारीख: 7 अगस्त 2020
- मौतें: 21 लोग मारे गए, 110 घायल
- घटना: भारी बारिश में लैंडिंग के समय विमान रनवे से फिसल गया।
2025 – अहमदाबाद एयर इंडिया क्रैश (AI-171)
- तारीख: 12 जून 2025
- घटना: अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट टेकऑफ़ के बाद तकनीकी खराबी के कारण क्रैश हो गई।
- मौतें: 241 यात्रियों में से 240 की मौत, 38 से अधिक लोग जमीन पर भी मारे गए।
- बचाव: केवल एक महिला यात्री चमत्कारिक रूप से जीवित बचीं।
- पायलट की गलती
- मौसम की खराबी
- तकनीकी खामी
- रनवे की स्थिति
- एयर ट्रैफिक कंट्रोल की चूक
इन सभी कारणों ने समय-समय पर भारत की एयरलाइन सुरक्षा को चुनौती दी है।
क्या बदला?
- 1996 के बाद: TCAS (Collision Avoidance System) अनिवार्य किया गया
- 2010 के बाद: रनवे सुरक्षा सुधार, विशेष प्रशिक्षण
- 2020 के बाद: DGCA ने खराब मौसम में लैंडिंग के SOP सख्त किए
- 2025 के बाद: नई उड़ान नीति पर विचार शुरू, फ्लाइट इमरजेंसी सिस्टम्स अपग्रेड की योजना
आसमान से सीखें जमीन की सच्चाई
हर फ्लाइट टेकऑफ़ एक उम्मीद होती है, लेकिन जब वो उड़ान मौत में बदल जाए, तो यह सिर्फ तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि मानवीय त्रासदी बन जाती है। भारत ने कई बार यह त्रासदी देखी है, और हर बार उन हादसों से कुछ न कुछ सीखा भी है।
लेकिन क्या अब समय नहीं आ गया कि हम “सीखने” की जगह “सुधार” को प्राथमिकता दें?