BY: Yoganand Shrivastva
मुंबई, : अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट एआई171, जो एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर थी, 12 जून को टेकऑफ के कुछ ही समय बाद एक गंभीर हादसे का शिकार हो गई। इस त्रासदी में विमान में सवार 241 यात्रियों सहित कुल 260 लोगों की जान चली गई, जिससे यह भारत में पिछले कई दशकों की सबसे भीषण विमान दुर्घटनाओं में गिनी जा रही है।
अब इस दुर्घटना के पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एयर इंडिया के सीईओ और एमडी, कैम्पबेल विल्सन ने एक आंतरिक संदेश में बताया कि प्रभावित परिवारों को सीधे सहायता दी जा रही है और लगभग दो-तिहाई पीड़ित परिवारों को या तो मुआवजा मिल चुका है या वह अंतिम प्रक्रिया में है।
प्रत्येक परिवार को मिल रही है सीधी सहायता
एयर इंडिया के अधिकारियों की टीमें व्यक्तिगत रूप से परिवारों के संपर्क में हैं और उन्हें अंतरिम राहत के रूप में सहायता राशि प्रदान की जा रही है। विल्सन ने कहा कि यह काम पूरी संवेदनशीलता और तत्परता से किया जा रहा है ताकि पीड़ितों को जल्द से जल्द मदद मिल सके। उन्होंने यह भी बताया कि टाटा संस, जो एयर इंडिया की मूल कंपनी है, दीर्घकालिक सहायता प्रणाली तैयार कर रही है, जिससे हादसे में मारे गए और बचे हुए लोगों के परिवारों को भविष्य में भी सहयोग मिलता रहे।
25 लाख का अंतरिम मुआवजा, 1 करोड़ का अंतिम वादा
14 जून को एयर इंडिया ने घोषणा की थी कि हर मृतक के परिजनों और बचे लोगों को 25 लाख रुपये की तात्कालिक सहायता राशि दी जाएगी। वहीं टाटा संस ने एक बड़ा कदम उठाते हुए ऐलान किया था कि हादसे में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को 1 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी।
भविष्य के लिए उठाए जा रहे कदम
सीईओ विल्सन ने यह भी कहा कि कंपनी इस त्रासदी से सबक लेते हुए अपनी सेवाओं, उपकरणों, प्रणालियों और सबसे महत्वपूर्ण – कर्मचारियों के कौशल को बेहतर बनाने में निरंतर निवेश करेगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
यह हादसा न केवल तकनीकी या प्रशासनिक विफलता का संकेत देता है, बल्कि इससे जुड़े परिवारों के जीवन को गहराई से झकझोर कर रख दिया है। हालांकि एयर इंडिया द्वारा की जा रही सहायता थोड़ी राहत जरूर प्रदान कर रही है, मगर इस दुख को पूरी तरह भर पाना मुश्किल है।