सरकारी अस्पताल में घोटाले की गूंज
सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता की उम्मीद होती है, लेकिन जब एम्स जैसी प्रतिष्ठित संस्था में दवा खरीद को लेकर सवाल उठते हैं, तो पूरा देश चौंक जाता है। AIIMS भोपाल में एक ऐसा ही दवा खरीद घोटाला सामने आया है, जहां ₹285 की दवा ₹2100 में खरीदी गई। इस गड़बड़ी की जांच के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने अस्पताल का दौरा किया है।
💉 जेमसिटाबिन इंजेक्शन पर विवाद: अलग-अलग एम्स, अलग कीमतें
- भोपाल AIIMS ने कैंसर की दवा Gemcitabine Injection ₹2100 प्रति यूनिट में खरीदी।
- वहीं, AIIMS दिल्ली में यही दवा सिर्फ ₹285 में और AIIMS रायपुर में ₹425 में खरीदी गई।
- तीनों AIIMS में इतनी भारी मूल्य अंतर ने दवा खरीद प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
🕵️ जांच टीम की कार्रवाई: चार घंटे तक चली पूछताछ
केंद्रीय जांच टीम ने:
- AIIMS भोपाल के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह सहित वरिष्ठ प्रबंधन से पूछताछ की।
- दवा खरीद से जुड़े सभी टेंडर दस्तावेज, प्रक्रिया और सप्लायरों की जानकारी की गहन समीक्षा की।
- सूत्रों के अनुसार, अन्य दवाओं की कीमतों में भी राष्ट्रीय औसत से अधिक अंतर पाया गया है।
📌 प्रमुख जांच बिंदु
- दवा खरीद में पारदर्शिता की कमी
- विभिन्न एम्स में मूल्य निर्धारण में बड़ा अंतर
- संभावित भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही
📋 आगे क्या? रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई
जांच टीम अब अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपेगी, जिसके बाद:
- दोषी पाए जाने पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
- मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि किसी भी तरह की भ्रष्टाचार या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
😡 जनता में रोष, विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
इस मामले ने आम जनता के मन में सरकारी संस्थानों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने:
- निष्पक्ष और तेज़ जांच की मांग की है।
- कहा कि यह मामला मरीजों की जेब पर सीधा असर डालता है और सरकारी संसाधनों की बर्बादी को दर्शाता है।
🔁 इससे जुड़े बड़े सवाल
- AIIMS जैसे संस्थान में दवा की कीमतें इतनी भिन्न क्यों?
- क्या टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं थी?
- क्या इससे मरीजों को आर्थिक नुकसान हुआ?
- क्या दोषियों पर समयबद्ध कार्रवाई होगी?
📝 निष्कर्ष: जवाबदेही जरूरी है
AIIMS भोपाल में दवा खरीद से जुड़ा यह घोटाला न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भ्रष्टाचार सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की नींव हिला रहा है। अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार कितनी तेजी और सख्ती से कार्रवाई करती है।