प्यार का बुखार क्या है, जब ये बुखार चढ़ जाए तो कौनसा हार्मोन बढ़ने लगता है, जानिए
रिपोर्ट- सुनील कुमार, एडिट- विजय नंदन
हापुड़: फिल्म ‘शोले’ का मशहूर सीन आज हकीकत बन गया जब एक युवक प्यार में इतना पागल हो गया कि पानी की टंकी पर चढ़कर हाईवोल्टेज ड्रामा करने लगा। घटना थाना बहादुरगढ़ क्षेत्र के ग्राम भैना की है। बताया जा रहा है कि युवक मेरठ का रहने वाला है और प्रेमिका के नाराज़ होने के बाद उसने यह कदम उठाया। स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन युवक घंटों तक नीचे नहीं उतरा। पुलिस और ग्रामीणों के समझाने पर भी वह टंकी से नीचे आने को तैयार नहीं हुआ।

आखिरकार लड़की के आने और आश्वासन देने के बाद युवक नीचे उतरा। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उसे थाने ले जाकर पूछताछ शुरू कर दी है। फिलहाल पुलिस युवक से प्रेम संबंध और घटना के कारणों की विस्तृत जांच में जुटी हुई है।

प्यार का बुखार क्या है?
प्यार का बुखार — यह कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक ऐसी भावनात्मक और मानसिक स्थिति है जिसमें इंसान किसी खास व्यक्ति के प्रति गहरी मोहब्बत, आकर्षण और लगाव महसूस करता है। इस दौरान व्यक्ति का मन, दिमाग और दिल — सब कुछ उसी एक इंसान के इर्द-गिर्द घूमने लगता है।
प्यार के बुखार के लक्षण
जब किसी को प्यार का बुखार चढ़ता है, तो उसके व्यवहार में कई बदलाव दिखने लगते हैं।
हर वक्त उसी का ख्याल: चाहे दिन हो या रात, हर पल उसी की याद सताती रहती है।
मूड में बदलाव: कभी खुशी तो कभी बेचैनी भावनाएँ रोलर कोस्टर की तरह ऊपर-नीचे होती रहती हैं।
नींद और भूख कम होना: प्यार में पड़े लोग अक्सर ठीक से खा-पी नहीं पाते, नींद भी गायब हो जाती है।
फोन और सोशल मीडिया पर निगाहें: हर कुछ मिनट में यह देखना कि उसने मैसेज किया या नहीं।
बेहद रोमांटिक सोच: हर चीज़ में वही नजर आने लगता है, गाना, मौसम, फिल्म या सड़क का मोड़।
प्यार का बुखार क्यों चढ़ता है?
हार्मोनल बदलाव: जब कोई व्यक्ति प्यार में पड़ता है, तो शरीर में डोपामिन और ऑक्सीटोसिन जैसे “हैप्पी हार्मोन” बढ़ जाते हैं। इंसान को किसी की परवाह और अपनापन महसूस होता है, जिससे यह लगाव और गहरा होता जाता है। मानसिक आकर्षण: जब दो लोगों के विचार, आदतें या लक्ष्य मेल खाते हैं, तो दिल से जुड़ाव बढ़ जाता है। अगर प्यार एकतरफा हो जाए या अपेक्षाएँ पूरी न हों, तो यह “बुखार” दिल टूटने और अवसाद में भी बदल सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि प्यार के साथ-साथ संतुलन और समझदारी भी रखी जाए। प्यार का बुखार इंसान को जीना सिखा सकता है लेकिन अगर यह नियंत्रण से बाहर हो जाए, तो जिंदगी को उलझा भी सकता है। प्यार की असली खूबसूरती तभी है जब उसमें सम्मान, भरोसा और सीमाएँ कायम रहें।