BY: MOHIT JAIN
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोची में आयोजित वल्दाई पॉलिसी फोरम में कहा कि भारत अमेरिकी दबाव के बावजूद रूस से तेल खरीदने के अपने फैसले पर अडिग रहेगा। पुतिन ने पीएम नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया और भारत की संप्रभुता की सुरक्षा को सर्वोपरि बताया।
इस फोरम में 140 से ज्यादा देशों के विशेषज्ञ और प्रतिनिधि मौजूद थे। उनका संबोधन लगभग चार घंटे तक चला, जिसमें उन्होंने वैश्विक राजनीति, यूक्रेन युद्ध, रूस-भारत संबंध और पश्चिमी देशों की स्थिति जैसे कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।
रूस-भारत आर्थिक और ऊर्जा संबंध

पुतिन ने बताया कि अगर भारत रूसी तेल की खरीद बंद करता है, तो उसे लगभग 9 से 10 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि रूसी तेल की कमी वैश्विक ऊर्जा कीमतों को प्रभावित कर सकती है, जिससे तेल प्रति बैरल 100 डॉलर से भी ऊपर जा सकता है।
पुतिन ने भारत को व्यापार असंतुलन सुधारने के सुझाव भी दिए:
- रूस से अधिक कृषि उत्पाद और दवाइयां खरीदना
- दोनों देशों के बीच भरोसे और दोस्ताना संबंधों को मजबूत करना
अमेरिका और पश्चिमी देशों पर कटाक्ष
पुतिन ने अमेरिका पर भी टिप्पणी की और कहा कि:
- अमेरिका, भारत जैसे देशों पर रूसी ऊर्जा न खरीदने का दबाव डालता है, जबकि खुद यूरेनियम के लिए रूस पर निर्भर है।
- यूरोपीय नेताओं को उन्होंने चेताया कि रूस को लेकर डर फैलाना बंद करें, नहीं तो असली समस्याओं से जनता का ध्यान भटकता रहेगा।
वैश्विक राजनीति और सुरक्षा
पुतिन ने अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी बयान दिया:
- यूक्रेन में टॉमहॉक मिसाइलें: यदि अमेरिका यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलें देता है, तो रूस-यूएस संबंध प्रभावित होंगे, लेकिन रूस का सुरक्षा तंत्र इसे संभाल सकता है।
- परमाणु हथियार: रूस भविष्य में भी अपने परमाणु हथियारों पर भरोसा रखेगा और नए परीक्षणों के लिए तैयार रहेगा।
- LGBTQ आंदोलन: रूस पारंपरिक मूल्यों को बढ़ावा दे रहा है और सरकार ने समान जेंडर संबंधों पर प्रतिबंध लगाया है।
- ट्रम्प के ‘कागजी शेर’ बयान पर तंज: पुतिन ने कहा कि रूस कागजी शेर भी हो, फिर भी NATO से लड़ रहा है, इसका मतलब NATO की स्थिति कमजोर है।

भारत और चीन के साथ संबंध
पुतिन ने कहा कि रूस BRICS देशों, विशेष रूप से भारत और चीन, का आभारी है। ये देश किसी का पक्ष नहीं लेते और समान न्याय पर आधारित दुनिया बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
पुतिन का यह बयान न केवल रूस-भारत संबंधों की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक राजनीति और ऊर्जा सुरक्षा पर उनके दृष्टिकोण को भी उजागर करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी दबाव में नहीं झुकेगा और अपने फैसलों में संप्रभु रहेगा।