BY: Devendra Jaiswal
इंदौर। इंदौर पुलिस की साइबर सेल ने 1.39 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले उत्तर प्रदेश के गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह की खासियत यह थी कि इसमें एलएलबी, सायबर लॉ और सिविल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट शामिल थे। महाराष्ट्र के एक पीड़ित की शिकायत पर साइबर सेल ने इस मामले की तहकीकात की और गिरोह को पकड़ने में सफलता पाई।
क्राइम ब्रांच एसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि गिरोह ने व्हाट्सएप ग्रुप पर इंस्टीट्यूशनल स्टॉक, ओटीसी ट्रेड (Over The Counter IPO) और ब्लॉक ट्रेडिंग के नाम पर पीड़ित को 490 प्रतिशत लाभ का झांसा दिया। इस झांसे में आकर पीड़ित ने केवल एक महीने में 1,39,60,451 रुपये अपने खाते से ट्रांसफर कर दिए।
जांच में यह भी सामने आया कि यह गिरोह अपने कमीशन को अपने पास रखते और शेष राशि को चाइनीज क्रिप्टो अकाउंट में ट्रांसफर कर देते थे। आरोपियों ने महाराष्ट्र के पुणे निवासी विजय शंकर द्विवेदी के खाते का इस्तेमाल किया। आरोपी अपने कमीशन के लालच में अकाउंट धारक से एटीएम और चेकबुक प्राप्त करते थे, और फिर ट्रांजेक्शन को क्रिप्टो में कन्वर्ट कर भेज देते थे।
पुलिस ने पुणे के खाता धारक से पूछताछ के दौरान पता लगाया कि उसने 8 आरोपियों को प्रतिदिन 10,000 रुपये के कमीशन के लालच में अपने बैंक खाते की चेकबुक और एटीएम सौंप दिए थे। इस पूरे नेटवर्क की मदद से आरोपी बड़ी आसानी से रकम का ट्रांसफर कर अपना कमीशन प्राप्त कर रहे थे और शेष राशि चाइनीज क्रिप्टो अकाउंट में भेज दी जाती थी।
साइबर सेल ने कार्रवाई करते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपियों में मुख्य रूप से एलएलबी, सायबर लॉ और इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स शामिल हैं, जो तकनीकी और कानूनी ज्ञान का गलत इस्तेमाल कर इस घोटाले को अंजाम दे रहे थे। इस मामले ने यह दिखाया कि शिक्षा और तकनीकी दक्षता का दुरुपयोग अपराध के लिए किया जा सकता है और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सतर्कता कितनी जरूरी है।
पुलिस ने बताया कि आगे जांच जारी है और सभी आरोपियों से पूछताछ कर नेटवर्क के अन्य जुड़े सदस्यों की भी पहचान की जा रही है। इस घोटाले ने साइबर ठगी के आधुनिक तरीकों, डिजिटल भुगतान और क्रिप्टो ट्रांजेक्शन के जोखिम को उजागर किया है और आम जनता को चेतावनी दी है कि वे किसी भी ऑनलाइन निवेश योजना में जल्दबाजी में विश्वास न करें।





