रिपोर्टर: रिंकू सुमन
सिरोंज तहसील के किसानों पर इस बार मानसून कहर बनकर टूटा। अधिक बारिश के कारण सोयाबीन और मक्का की फसलें बर्बाद हो गईं, जिससे किसान केवल 15 से 20 प्रतिशत उपज ही निकाल पा रहे हैं। एवरेज चार क्विंटल प्रति बीघा के बजाय अब महज़ 25 से 50 किलो सोयाबीन मिल रहा है, वह भी खराब क्वालिटी का।
किसानों की हालत बद से बदतर

कई जगह तो खेत पूरी तरह बाँझ रह गए। किसान अपनी मेहनत और लागत डूबते देख निराश हैं।
- इकोदिया के किसान विजय रघुवंशी ने बताया कि उन्होंने 17 बीघा में सोयाबीन बोया था, लेकिन ज्यादा बारिश के कारण फसल पूरी तरह चौपट हो गई। न तो उपज हुई और न ही लागत निकल पाई।
- आमाढाना गांव के किसान अजीम खां के 16 बीघा खेत में मात्र 12 बोरे सोयाबीन निकले, जिससे हार्वेस्टर का आधा किराया भी नहीं निकल सका।
- हार्वेस्टर संचालक कलीम खान का कहना है कि पूरे इलाके में यही हाल है। फसल इतनी कम निकली है कि किसानों से पैसा मांगने में शर्म आती है।
सर्वे को लेकर असमंजस
किसान नेता सुरेंद्र रघुवंशी का कहना है कि फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है। यदि सर्वे समय पर नहीं हुआ तो खाली खेत में सही नुकसान का आकलन कैसे होगा? किसानों की सबसे बड़ी चिंता यही है कि उनकी वास्तविक हानि दर्ज नहीं हो पाएगी।
प्रशासन का दावा
सिरोंज तहसीलदार संजय चौरसिया का दावा है कि 200 गांवों में सर्वे पूरा हो चुका है और बाकी जगहों पर भी काम चल रहा है। वहीं, कृषि अधिकारी अनुज धाकड़ का कहना है कि किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है।
- सेटेलाइट मैपिंग में ब्लॉक में 80-100% तक का नुकसान दर्ज हुआ है।
- फसल बीमा योजना वाले किसानों को राशि जरूर मिलेगी, हालांकि जिन पर ओवरड्यू लोन है उन्हें राहत नहीं मिलेगी।
- राजस्व विभाग का सर्वे भी जारी है।
किसानों की सबसे बड़ी चिंता
कागजों पर सर्वे और बीमा दावों की प्रक्रिया भले तेज बताई जा रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। किसानों का कहना है कि अब तक कोई अधिकारी खेतों तक नहीं पहुंचा। सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मुआवज़ा और बीमा की राशि कब तक मिलेगी?
भारी नुकसान झेल चुके किसान खाली जेब के साथ अगली फसल की तैयारी को मजबूर हैं। यदि समय पर राहत नहीं मिली, तो उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो जाएगी।