BY: MOHIT JAIN
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में FIPIC (Forum for India-Pacific Islands Cooperation) के विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी की। यह बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र से अलग आयोजित की गई, जिसमें स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण और जन-केंद्रित विकास पर विशेष चर्चा हुई।
विदेश मंत्री ने इस अवसर पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 12-सूत्रीय कार्ययोजना एफआईपीआईसी-तीन शिखर सम्मेलन के बाद अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत और प्रशांत द्वीपीय देश आपसी विकास में साझेदार हैं और हमारा एजेंडा हमेशा जनता के हित में रहेगा।
बैठक में मुख्य चर्चा के मुद्दे
बैठक में कई महत्वपूर्ण विषयों पर जोर दिया गया, जैसे:
- स्वास्थ्य क्षेत्र: महामारी प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
- प्रौद्योगिकी: डिजिटल सहयोग और तकनीकी नवाचार
- क्षमता निर्माण: प्रशिक्षण कार्यक्रम और कौशल विकास
विदेश मंत्री ने इस बैठक को भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का अहम हिस्सा बताया, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को मजबूत करने में मदद करता है।
FIPIC: भारत और प्रशांत द्वीपों के सहयोग का मंच
Delighted to host the FIPIC Foreign Ministers Meeting today in New York.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 24, 2025
Glad to note that the 12-point action plan announced by PM @narendramodi at the FIPIC-III Summit is progressing well.
India and Pacific Island countries are development partners. Our agenda is… pic.twitter.com/HaDtSTTIGl
FIPIC भारत और प्रशांत द्वीपों के बीच सहयोग, साझेदारी और विकास को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण मंच है। छोटे द्वीपीय देश, जिनका रणनीतिक और भौगोलिक महत्व बहुत अधिक है, भारत के लिए नए अवसर और साझेदारी के द्वार खोलते हैं।
FIPIC की शुरुआत:
- वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिजी में पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया।
- इस मंच में कुल 14 द्वीपीय देश शामिल हैं, जैसे फिजी, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन द्वीप, समोआ, टोंगा, वानुआतु आदि।
- इसका उद्देश्य केवल राजनीतिक सहयोग बढ़ाना नहीं है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा और तकनीक जैसे क्षेत्रों में भी मजबूत साझेदारी करना है।
विदेश मंत्री जयशंकर की इस पहल से भारत की क्षेत्रीय कूटनीति मजबूत हुई है और प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नए आयाम जुड़े हैं। यह बैठक इस बात का भी संकेत है कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी सक्रिय भूमिका लगातार बढ़ा रहा है।