शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन आज है, जो देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप को समर्पित है। इस दिन भक्त मां चंद्रघंटा की विशेष पूजा करते हैं और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए मंत्रों का जाप करते हैं। मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र होता है, इसलिए उन्हें यह नाम प्राप्त है।
नवरात्रि के पहले दो दिनों की तरह ही तीसरे दिन भी पूजा में विशेष तैयारी और विधि का पालन किया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन पूजा करने का सही तरीका, मंत्र, आरती और भोग।
नवरात्रि के तीसरे दिन कौन सा रंग पहनें?
मां चंद्रघंटा का प्रिय रंग लाल और पीला माना जाता है। इसलिए इस दिन पूजा करते समय लाल या पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान मूर्ति को लाल रंग के फूल और वस्त्र अर्पित किए जाते हैं।
मां चंद्रघंटा का मंत्र
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का जाप करने वाला प्रमुख मंत्र है:
“ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः”
इस मंत्र का जाप श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से मां चंद्रघंटा अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
मां चंद्रघंटा को भोग में क्या दें?
इस दिन मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाइयां और खीर, विशेष रूप से केसर की खीर, अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप लौंग, इलायची, पंचमेवा, पेड़े और मिसरी का भोग भी लगा सकते हैं।
पसंदीदा फूल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को कमल का फूल अर्पित करना चाहिए। कमल फूल शांति और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है और माता इसे बहुत पसंद करती हैं।
पूजा विधि
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा इस प्रकार करें:
- ब्रह्म मुहूर्त में उठें – सूर्योदय से पहले उठकर पूजा की शुरुआत करें।
- स्नान और साफ वस्त्र – स्नान करके लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल की सफाई – घर या पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें और पुराने फूल हटा दें।
- मूर्ति स्थापना – मां चंद्रघंटा की प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- दीप और धूप – धूप-दीप जलाकर देवी का आवाहन करें।
- श्रृंगार – मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और रोली, चंदन, अक्षत, फूल अर्पित करें।
- भोग अर्पित करें – दूध या शहद से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
- मंत्र जाप और पाठ – ‘ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः’ मंत्र का जाप करें और दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- आरती – पूजा के अंत में मां की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
मां चंद्रघंटा की कथा

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का स्वरूप महिषासुर के आतंक से देवताओं और मानवों की रक्षा के लिए प्रकट हुआ। महिषासुर ने स्वर्गलोक में आतंक मचाया था और तीनों लोकों पर अपना अधिपत्य जमाना चाहा।
देवताओं ने त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश से मदद मांगी। उनके क्रोध से दिव्य शक्ति उत्पन्न हुई और मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप का जन्म हुआ।
भगवान शिव ने त्रिशूल, विष्णु ने चक्र और इंद्रदेव ने घंटा प्रदान किया। अन्य देवताओं ने भी अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र अर्पित किए। मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध करके तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त किया।
मां चंद्रघंटा की आरती

जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो।चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।श्रद्धा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥
शीश झुका कहे मन की बाता।पूर्ण आस करो जगत दाता॥
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥
नाम तेरा रटू महारानी।भक्त की रक्षा करो भवानी॥
पूजा के बाद आरती में परिवार और अन्य भक्तों के साथ प्रसाद साझा करना शुभ माना जाता है।
यह लेख नवरात्रि 2025 के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, मंत्र और भोग से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करता है। इससे भक्त सही विधि से माता की पूजा कर अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं।