सड़क सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि हाईवे पर बिना चेतावनी अचानक ब्रेक लगाना लापरवाही (Negligence in Road Accident) माना जाएगा। इस निर्णय से भविष्य में होने वाले सड़क हादसों को कम करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट संदेश
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि:
- हाईवे पर वाहन सामान्यतः तेज रफ्तार में चलते हैं।
- ऐसे में अचानक ब्रेक लगाने से पीछे आने वाले वाहन गंभीर दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं।
- ड्राइवर की जिम्मेदारी है कि वह वाहन रोकने से पहले पीछे चल रहे वाहनों को संकेत या चेतावनी दे।
मामला: इंजीनियरिंग छात्र की दर्दनाक घटना
यह फैसला इंजीनियरिंग छात्र एस. मोहम्मद हकीम की याचिका पर आया।
- जनवरी 2017 में कोयंबटूर में हकीम की बाइक अचानक रुकी कार से टकरा गई।
- गिरने के बाद पीछे से आ रही बस ने उन्हें टक्कर मार दी।
- हादसे में उनका बायां पैर काटना पड़ा।
कार चालक की दलील और कोर्ट का जवाब
- कार चालक ने कहा कि उसने अचानक ब्रेक इसलिए लगाए क्योंकि उसकी गर्भवती पत्नी को उल्टी जैसा महसूस हो रहा था।
- लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानने से इंकार कर दिया।
- अदालत ने कहा, “राजमार्ग पर अचानक कार रोकना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।”
लापरवाही का बंटवारा
अदालत ने जिम्मेदारी इस प्रकार तय की:
- कार चालक – 50% लापरवाही
- बस चालक – 30% लापरवाही
- पीड़ित (हकीम) – 20% सहभागी लापरवाही
मुआवजे का फैसला
- कुल मुआवजा तय: ₹1.14 करोड़
- पीड़ित की 20% सहभागी लापरवाही के कारण राशि में कटौती।
- बीमा कंपनियों को चार सप्ताह के भीतर राशि का भुगतान करने का आदेश।
क्यों अहम है यह फैसला?
- यह फैसला सड़क सुरक्षा नियमों को और मजबूत करेगा।
- ड्राइवरों को याद दिलाएगा कि हाईवे पर सतर्कता और नियमों का पालन बेहद जरूरी है।
- सड़क हादसों में जिम्मेदारी तय करने के मानक और स्पष्ट हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सड़क पर सुरक्षित और जिम्मेदार ड्राइविंग को बढ़ावा देने वाला है। ड्राइवरों के लिए यह एक बड़ा सबक है कि हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाना न सिर्फ खतरनाक है बल्कि कानूनी रूप से लापरवाही भी माना जाएगा।





