लखनऊ/बलरामपुर — जुलाई 2019 की बात है। लखनऊ की रहने वाली एक युवती को उसके प्रेमी और उसके परिवार वाले बलरामपुर के रेहरा माफी गांव ले गए, जहां उसकी मुलाकात एक रहस्यमयी शख्स से हुई – छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन। वहां धुएं से भरे कमरे में दर्जनों महिलाएं अरबी किताबें पढ़ रही थीं। बाबा अपने अनुयायियों के साथ उन्हें ‘खुशहाल जीवन’ का सपना दिखा रहा था – बदले में चाहिए था सिर्फ एक चीज: धर्मांतरण।
आज वही लड़की रानी (बदला हुआ नाम) अब अलीना बन चुकी है। उसे धोखे से धर्म बदलवाया गया, निकाह कराया गया, और फिर उसका शोषण शुरू हुआ। जब उसे सच्चाई का अहसास हुआ, तब तक वह सब कुछ खो चुकी थी—परिवार, दोस्त, पहचान। और अब वह अकेले उत्तर प्रदेश एटीएस (UP-ATS) की मदद से इस संगठित धर्मांतरण सिंडिकेट के खिलाफ लड़ रही है।
कैसे खुला यह रैकेट?
अक्टूबर 2024 में रानी ने UP-ATS को अपनी आपबीती सुनाई। नवंबर 2024 में ATS ने छांगुर बाबा, उसके बेटे महबूब और 8 अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की।
5 जुलाई 2025 को छांगुर बाबा को नीतू उर्फ नसरीन के साथ लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया। अब जांच में पता चला है कि बाबा का नेटवर्क यूपी, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और दिल्ली तक फैला हुआ है। उसकी सीक्रेट टीम में 1500 से अधिक लोग सक्रिय थे, जिनका काम था – 30 साल से कम उम्र की हिंदू लड़कियों को फंसाना और धर्म परिवर्तन कराना।
छांगुर बाबा का नेटवर्क और रणनीति
- कोडवर्ड्स के जरिये मिशन चलाया जाता था।
- युवतियों को प्यार, शादी और पैसे का लालच देकर जाल में फंसाया जाता था।
- धर्मांतरण के बाद उनका निकाह ‘पीर बाबा’ की देखरेख में होता था।
- बाबा के खातों में 106 करोड़ रुपए के संदिग्ध लेन-देन पाए गए हैं।
विक्टिम-1: “अबू अंसारी से निकाह मेरी सबसे बड़ी गलती थी”
रानी (बदला नाम) की कहानी इस नेटवर्क की असली तस्वीर बयां करती है:
- 2015 में लखनऊ में उसकी मुलाकात अमित उर्फ अबू अंसारी से हुई। उसने खुद को हिंदू बताया।
- दोस्ती बढ़ी और फिर परिवार से मिलवाया गया। सबने खुद को हिंदू बताया।
- फिर उसकी मुलाकात कराई गई गुड़िया (असल नाम: उमेर अकीबा) और नीतू उर्फ नसरीन से – दोनों ही छांगुर बाबा की करीबी।
- नीतू का काम था – “हिंदू लड़कियों को इस्लाम में लाना।”
- 2020 में छांगुर बाबा की मौजूदगी में जबरन धर्मांतरण और निकाह कराया गया।
- शादी के बाद शोषण, मारपीट और भावनात्मक यातना शुरू हुई।
- 2021 में रानी ने पति को छोड़ा और विश्व हिंदू रक्षा परिषद की मदद से कानूनी लड़ाई शुरू की।
विक्टिम-2: “राजू बना वसीम, फिर सऊदी में धर्मांतरण और गैंगरेप की कोशिश”
बेंगलुरु की बबीता (बदला नाम) के साथ जो हुआ, वह इस नेटवर्क की अंतरराष्ट्रीय साजिश को उजागर करता है:
- 2021 में इंस्टाग्राम पर राजू राठौर नामक युवक से संपर्क हुआ। बाद में पता चला उसका असली नाम वसीम है।
- वसीम ने उसे सऊदी अरब में नौकरी और शादी का लालच दिया।
- फर्जी दस्तावेज बनवाकर उसे सऊदी बुलाया गया।
- वहां बबीता की वीडियो कॉल पर छांगुर बाबा से बात कराई गई।
- असली मकसद – सऊदी में धर्म परिवर्तन करवा कर किसी अरब शेख से निकाह कराना।
- मना करने पर उसके अश्लील वीडियो बनाए गए, ब्लैकमेलिंग हुई।
- वापस आकर बबीता ने 21 जुलाई 2023 को वसीम के खिलाफ FIR दर्ज कराई।
- उसके बाद वसीम के पिता ने उसे सहारनपुर बुलाकर फंसाने की कोशिश की।
नेटवर्क, फंडिंग और रणनीति की जांच जारी
- छांगुर बाबा के खिलाफ अब तक 10 FIR दर्ज की जा चुकी हैं।
- उसके खाते से जुड़े 106 करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन की जांच ED और ATS कर रही हैं।
- बाबा के नेटवर्क में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है।
- पुलिस सूत्रों के मुताबिक फंडिंग के स्रोत विदेशों से भी जुड़े हो सकते हैं।
धर्म की आड़ में खतरनाक खेल
छांगुर बाबा की कहानी महज एक बाबा की करतूत नहीं, बल्कि एक संगठित और सुनियोजित धार्मिक युद्ध की कहानी है। इसका मकसद ना सिर्फ धर्मांतरण था, बल्कि युवतियों को मानसिक, सामाजिक और यौन शोषण की दलदल में धकेलना भी था।
सवाल यह भी है:
- 106 करोड़ की फंडिंग किसने की?
- 5,000 से ज्यादा लड़कियों का धर्मांतरण कैसे हुआ?
- और क्या इस रैकेट के पीछे कोई बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश है?
जवाब अभी आने बाकी हैं… लेकिन छांगुर बाबा की गिरफ्तारी ने जो परतें खोली हैं, वो बेहद चौंकाने वाली हैं।