मध्य प्रदेश के ग्वालियर में संपत्ति रजिस्ट्री से जुड़ा एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। इस घोटाले में लोकेशन की हेराफेरी कर शासन को लाखों रुपये का चूना लगाया गया है।
कैसे हो रही है स्टांप ड्यूटी की चोरी?
रजिस्ट्री प्रक्रिया में संपत्ति की असली लोकेशन बदल दी जाती है, जिससे स्टांप ड्यूटी कम लगती है।
- संपत्ति डबरा के अर्जुन नगर की थी, लेकिन उसकी लोकेशन सहराई गांव बताई गई।
- इस धोखाधड़ी से सरकार को ₹5.11 लाख का नुकसान हुआ।
- रजिस्ट्री सेवा प्रदाता के दफ्तर से सीधे पेश की गई, जिससे पंजीयन कार्यालय की प्रक्रिया को दरकिनार किया गया।
जांच में क्या सामने आया?
इस मामले की शिकायत के बाद प्रशासन हरकत में आया और SDM ने जांच कर रिपोर्ट संयुक्त कलेक्टर को सौंपी।
जांच रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- उप पंजीयक महेंद्र कौरव को जिम्मेदार माना गया।
- उनके द्वारा पदीय कर्तव्य में लापरवाही की पुष्टि हुई।
- सेवा प्रदाता और उप पंजीयकों की मिलीभगत की आशंका जताई गई है।
अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं?
इस घोटाले के सामने आने के बावजूद अभी तक किसी पर भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
- न तो उप पंजीयक पर सख्त कदम उठाए गए।
- न ही सेवा प्रदाता के खिलाफ कार्रवाई की गई।
- इससे शासन की राजस्व व्यवस्था और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या है आगे का रास्ता?
अब जब जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उप पंजीयक को दोषी ठहराया गया है, प्रशासन पर जिम्मेदारी है कि वह:
- दोषियों पर वित्तीय और कानूनी कार्रवाई करे।
- रजिस्ट्री प्रक्रिया को और अधिक डिजिटल और पारदर्शी बनाए।
- ऐसे मामलों की सामूहिक जांच कर अन्य संभावित घोटालों का पता लगाए।
ग्वालियर में सामने आया यह रजिस्ट्री घोटाला सिर्फ एक मामला नहीं, बल्कि सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करता है। स्टांप ड्यूटी जैसे संवेदनशील राजस्व स्रोत में इस प्रकार की चोरी न केवल सरकारी नुकसान है, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी चोट पहुंचाता है। इसीलिए अब जरूरी है, दोषियों के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जा सकें।