इंदौर: मध्य प्रदेश की स्मार्ट सिटी इंदौर में मानसून की पहली बारिश ने बुनियादी ढांचे की हकीकत सामने ला दी है। शहर के पॉश इलाके स्कीम नंबर 54 में शुक्रवार दोपहर अचानक सड़क का एक हिस्सा धंस गया, जिससे लगभग 10 फीट गहरा और चौड़ा गड्ढा बन गया।
हादसे के वक्त सड़क पर कोई वाहन या व्यक्ति नहीं था, वरना एक बड़ा जानलेवा हादसा हो सकता था।
कहां और कैसे हुआ हादसा?
- स्थान: स्कीम नंबर 54, मेघदूत गार्डन के सामने
- समय: शुक्रवार दोपहर
- स्थिति: अचानक धंसी सड़क, बना गहरा गड्ढा
पूर्व में दी गई शिकायतें, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं
स्थानीय रहवासियों के अनुसार, इस क्षेत्र में पानी का रिसाव पहले से हो रहा था जिसकी लिखित और मौखिक शिकायतें नगर निगम को की जा चुकी थीं। बावजूद इसके, समय पर मरम्मत नहीं की गई।
- हाल ही में इस सड़क पर ड्रेनेज लाइन डाली गई थी।
- अब उस निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
- लोगों ने खुद पहल कर बैरिकेड्स लगाकर सुरक्षा सुनिश्चित की।
प्रशासन की लापरवाही, मीडिया के दबाव पर आई हरकत में
घटना की सूचना मिलने के बाद भी नगर निगम की टीम मौके पर घंटों तक नहीं पहुंची। जब यह मामला मीडिया में प्रमुखता से आया, तब जाकर:
- एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर और
- अपर आयुक्त मौके पर पहुंचे।
- इसके बाद मरम्मत कार्य शुरू किया गया।
क्या इंदौर वाकई स्मार्ट सिटी है?
यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी शहर के कई हिस्सों में इसी तरह की सड़क धंसने की घटनाएं हो चुकी हैं:
- पलासिया चौराहा
- गीताभवन चौराहा
- बीआरटीएस कॉरिडोर
प्रशासन का कहना है कि बरसात के दौरान मिट्टी धंसने या अंडरग्राउंड पाइप लाइन में रिसाव से ऐसा होता है। लेकिन एक स्मार्ट सिटी में ऐसी घटनाएं बार-बार होना प्रणाली की विफलता दर्शाता है।
क्या जवाबदेही तय होगी?
इंदौर को लगातार देश की नंबर-1 स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया जाता रहा है। लेकिन अगर बुनियादी ढांचा मानसून की पहली बारिश में ही ढहने लगे, तो यह खिताब महज एक दिखावा बनकर रह जाता है।
अब जरूरत है:
- निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की सख्त जांच हो
- घटिया निर्माण करने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई हो
- जनता की शिकायतों पर समय पर कार्रवाई सुनिश्चित हो
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इंदौर में हुई यह घटना न सिर्फ एक सड़क हादसा है, बल्कि यह स्मार्ट सिटी मिशन के दावों की असलियत को उजागर करती है। चमचमाते अवॉर्ड्स और रैंकिंग से ज्यादा ज़रूरी है जमीनी हकीकत, जहां नागरिकों की सुरक्षा और जीवन स्तर से समझौता न किया जाए।