BY: Yoganand Shrivastva
टीवी की दुनिया में हर हफ्ते नए शो आते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो दशकों तक अपनी पकड़ बनाए रखते हैं। इन्हीं में से एक है ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’, जो पिछले 17 वर्षों से दर्शकों का मनोरंजन कर रहा है। हालांकि इस शो पर यह आरोप भी लगता रहा है कि इसकी कहानी अब पुरानी, थकी हुई और बासी हो चुकी है। बावजूद इसके, यह लगातार टीआरपी की रेस में टॉप पर बना हुआ है।
पुरानी कहानी, नया चेहरा – और फिर भी हिट?
‘अनुपमा’, ‘झनक’, ‘कभी सास भी बहू थी’, ‘कुमकुम भाग्य’ जैसे शो जहां ताजगी और सामाजिक मुद्दों को छूने की कोशिश करते हैं, वहीं ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ को एक ऐसी लव स्टोरी के लिए जाना जाता है, जो सालों से घिसट रही है – बस चेहरों और पीढ़ियों का बदलना भर बाकी है।
2009 में शुरू हुआ यह सीरियल अब चौथे सीजन में पहुंच चुका है, जिसमें अब समृद्धि शुक्ला और रोहित पुरोहित मुख्य भूमिका में हैं। यह बात हैरान करती है कि हर सीजन में लगभग एक ही कहानी को नए चेहरों के साथ परोसा जाता है – फिर भी दर्शक इसे देखना पसंद करते हैं।
टीआरपी की दुनिया में अब भी दबदबा
टीवी की भाषा में सीरियल का अर्थ होता है – कहानी को भागों में बांटकर दिखाना। लेकिन अब तो सीरियल और वेब सीरीज के बीच की रेखा भी धुंधली हो चुकी है। दर्शकों की पसंद को ध्यान में रखते हुए निर्माता राजन शाही ने नया तरीका अपनाया: कहानी वही, लेकिन चेहरा नया। यही रणनीति काम भी कर गई।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, समृद्धि शुक्ला और रोहित पुरोहित स्टारर यह शो 2.1 मिलियन इंप्रेशन के साथ टीआरपी लिस्ट में तीसरे नंबर पर रहा।
क्या यही है सफलता का फॉर्मूला?
‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ ने टीवी इंडस्ट्री को हिना खान, करण मेहरा, शिवांगी जोशी, मोहसिन खान, हर्षद चोपड़ा जैसे बड़े नाम दिए हैं। अब समृद्धि और रोहित को लेकर भी यही उम्मीद जताई जा रही है। इस शो की खास बात यही है कि यह हर बार नई पीढ़ी और किरदारों के ज़रिए “पारिवारिक मूल्यों और प्रेम के संघर्ष” को दोहराता है।
लेकिन आलोचकों का कहना है कि इस शो में कोई नई बात नहीं होती – बस पुराने फॉर्मूले को बार-बार दोहराया जाता है। फिर भी, इसे देखने वालों की संख्या लगातार बनी रहती है।
दर्शकों की मानसिकता और आदत
सवाल उठता है – जब कहानी में कुछ भी नया नहीं है, तो दर्शक इसे देखते क्यों हैं?
इसका जवाब है आदत और भावनात्मक जुड़ाव। दशकों से चल रहे इस शो को देखने की एक आदत बन चुकी है, खासकर गृहिणियों और पारंपरिक दर्शकों के लिए। उनके लिए यह शो सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि उनके रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुका है।
प्यार, परंपरा और पुनरावृत्ति का मेल
‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ भले ही अपनी कहानी के कारण आलोचना का शिकार होता रहा हो, लेकिन इसका टीआरपी ग्राफ बताता है कि भारतीय दर्शकों को आज भी पारिवारिक ड्रामा और लव स्टोरी में दिलचस्पी है – चाहे वो कितनी भी पुरानी और दोहराई हुई क्यों न हो।