डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा ने मंगलवार को अपना 99वां स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया। मंच से विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का बखान किया गया, लेकिन अगले दिन तो तस्वीर बिल्कुल उलटी दिखी।
हेल्प डेस्क पर छात्रों की भीड़ और गुस्सा
बुधवार को जब पत्रकारों ने विश्वविद्यालय की हेल्प डेस्क का दौरा किया, तो वहां नाराज छात्रों की भीड़ दिखी। कई छात्रों ने खुलकर अपनी परेशानियां साझा कीं और बताया कि—
- डिग्री, मार्कशीट, NOC जैसी ज़रूरी दस्तावेज़ों के लिए सालों से भटकना पड़ रहा है।
- हर बार कोई नया बहाना बना दिया जाता है – “बिजली नहीं है”, “कल आना”, “डॉक्युमेंट्स अधूरे हैं” आदि।
- कई बार तो उन्हें इंटरव्यू और नौकरी के अवसर भी गंवाने पड़े।
छात्रों की आपबीती: लाचारी और भ्रष्टाचार का खुलासा
इंटरव्यू छूटा, पर काम नहीं हुआ
एक छात्र ने बताया कि वह इंटरव्यू के दिन आखिरी उम्मीद के साथ मार्कशीट लेने आया था, लेकिन फिर भी उसे खाली हाथ लौटना पड़ा। उसका इंटरव्यू मिस हो गया, और करियर पर असर पड़ा।
बिना सिफारिश नहीं होता काम
- कई छात्रों ने दावा किया कि वीआईपी सिफारिश हो तो काम कुछ ही घंटों में हो जाता है।
- आम छात्रों की फाइलें हफ्तों तक दबाकर रखी जाती हैं।
रिश्वत के आरोप साफ तौर पर सामने आए
- छात्रों ने कहा कि काम जल्दी करवाने के लिए पैसे मांगे जाते हैं।
- “अगर जेब ढीली करो, तो अगले दिन काम हो जाएगा, वरना चक्कर काटते रहो।”
गंभीर शिकायतें, शोधार्थियों तक को नहीं बख्शा
डॉ. विवेक राठौर की शिकायत
2012 में पीएचडी पूरी कर चुके शोधार्थी डॉ. विवेक राठौर ने बताया कि डिग्री से संबंधित काम के लिए भी बैकडोर पेमेंट की मांग की गई।
छात्राओं और अभिभावकों का गुस्सा भी फूटा
🙋♀️ छात्रा अदिति शर्मा ने किया विरोध
तीन दिनों से यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रही छात्रा अदिति शर्मा ने कहा,
“यहां पढ़ाई से ज्यादा दौड़-धूप और मानसिक तनाव मिलता है। मैं किसी को सलाह नहीं दूंगी कि इस यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले।”
भाई गौरव की आपबीती
एक छात्रा की मार्कशीट लेने आए गौरव ने बताया,
“दो महीने से लगातार आ रहा हूं। हर बार यही कहते हैं कि ’15 दिन बाद आ जाएगी’, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।”
निष्कर्ष: 99 साल की उपलब्धियों के बीच सवालों की बौछार
जहां एक ओर यूनिवर्सिटी अपना गौरवशाली इतिहास गिनाती है, वहीं दूसरी ओर छात्रों के अनुभव एक गहरी प्रशासनिक खामी और भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं। अगर विश्वविद्यालय इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेता, तो आने वाले समय में इसकी साख पर गहरा असर पड़ सकता है।