क्यों है ये खबर महत्वपूर्ण?
बिहार देश के उन पहले छह राज्यों में शामिल हो गया है, जहां भारत की नई ‘न्यूक्लियर एनर्जी मिशन’ योजना के तहत पहला परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित किया जाएगा। यह राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
बिहार का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र: मुख्य बातें
- घोषणा और मंजूरी: पटना में आयोजित पूर्वी क्षेत्र के पांचवें ऊर्जा मंत्रियों की बैठक में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने बिहार में न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की मंजूरी की घोषणा की।
- SMR तकनीक आधारित संयंत्र: यह संयंत्र आधुनिक ‘स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर’ (SMR) तकनीक पर आधारित होगा, जो सुरक्षित और लागत प्रभावी है।
- पूर्वी भारत के लिए नई शुरुआत: बैठक में बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और अंडमान-निकोबार के प्रतिनिधि भी मौजूद थे, जिससे पूरे पूर्वी भारत में न्यूक्लियर एनर्जी के विस्तार की दिशा में यह अहम कदम साबित हुआ।
बिहार को क्या फायदे होंगे?
- राज्य में बिजली की स्थायी आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
- औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
- तकनीकी विकास और आधुनिक ऊर्जा अवसंरचना को बढ़ावा मिलेगा।
बिहार लंबे समय से बिजली की कमी और बुनियादी ढांचे की चुनौतियों से जूझता रहा है। इस पहल से राज्य की ऊर्जा तस्वीर पूरी तरह बदलने की उम्मीद है।
न्यूक्लियर एनर्जी मिशन: भारत की बड़ी योजना
- बिजली उत्पादन क्षमता में बड़ा इजाफा: इस मिशन का लक्ष्य भारत की न्यूक्लियर पावर क्षमता को मौजूदा 8,180 मेगावाट (30 जनवरी 2025 तक) से बढ़ाकर 2047 तक 1 लाख मेगावाट (100 गीगावाट) करना है।
- स्वदेशी तकनीक पर जोर: ₹20,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ भारत में ही विकसित की गई SMR तकनीक को प्राथमिकता दी जाएगी।
- हर राज्य में न्यूक्लियर प्लांट: ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रत्येक राज्य में कम से कम एक न्यूक्लियर पावर प्लांट स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
- निजी क्षेत्र को मिलेगा मौका: न्यूक्लियर क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए ‘एटॉमिक एनर्जी एक्ट, 1962’ और ‘सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010’ में बदलाव किए जाएंगे।
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) क्या है?
- SMR, पारंपरिक परमाणु रिएक्टर की तुलना में छोटे लेकिन अत्याधुनिक और सुरक्षित रिएक्टर होते हैं।
- इनकी क्षमता 300 मेगावाट (इलेक्ट्रिकल) तक होती है, जो बड़ी बिजली परियोजनाओं की तुलना में कम है, लेकिन छोटे क्षेत्रों के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
- SMR तकनीक उन क्षेत्रों में खासतौर पर कारगर है जहां बड़े संयंत्र स्थापित करना संभव नहीं।
- BARC (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर) SMR तकनीक पर काम कर रहा है ताकि पुराने कोयला आधारित संयंत्रों को नवीनीकृत किया जा सके और दूरदराज के इलाकों की बिजली जरूरतें पूरी की जा सकें।
- थोरियम आधारित ऊर्जा पर भी काम: DAE (परमाणु ऊर्जा विभाग) हाइड्रोजन उत्पादन के लिए उच्च तापमान गैस-कूल्ड रिएक्टर और भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थोरियम संसाधनों का उपयोग करने के लिए ‘मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर’ विकसित करने पर भी काम कर रहा है।
बिहार में ऊर्जा क्षेत्र के अन्य बड़े कदम
✅ बैटरी एनर्जी स्टोरेज प्रोजेक्ट: बिहार में 1,000 मेगावाट की बैटरी स्टोरेज क्षमता का प्रोजेक्ट केंद्र सरकार ने मंजूर किया है। इससे ग्रिड की स्थिरता बढ़ेगी और अक्षय ऊर्जा को जोड़ने में मदद मिलेगी।
✅ 500 MWh बैटरी प्रोजेक्ट: 20 जून 2025 को पीएम ने सिवान में 500 मेगावाट घंटे का बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया।
✅ अतिरिक्त बिजली आपूर्ति: गर्मी के मौसम में बढ़ती बिजली मांग को देखते हुए बिहार को अगले 3 से 6 महीने तक अतिरिक्त 500 मेगावाट बिजली दी जाएगी।
✅ स्मार्ट मीटर की बड़ी उपलब्धि: राज्य में 80 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, जिससे तकनीकी और वाणिज्यिक बिजली हानि में उल्लेखनीय कमी आई है।
निष्कर्ष
बिहार में पहला न्यूक्लियर पावर प्लांट स्थापित होना न केवल राज्य बल्कि पूरे पूर्वी भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह कदम न केवल ऊर्जा संकट से राहत देगा, बल्कि बिहार को औद्योगिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगा।